गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने २२ जुलाई के अंक में ‘इधर लोगों के भूखे मरने की नौबत उधर रात को खुला दफ्तरÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर सरकार का ध्यान इस ओर खींचा था। नागौरी गेट कलाल कॉलोनी निवासी ९२ वर्षीय वृद्धा कंवरी देवी को दो साल से राशन का गेहूं नहीं मिला था। वह रसद विभाग कार्यालय के चक्कर लगा रही थी। कलक्टर के निर्देश के बाद रसद विभाग के इंस्पेक्टर वृद्धा के घर पहुंचे और राशन डीलर से गेहूं दिलवाया। राशन डीलर ने अन्य से उधार लेकर कंवरी देवी को एक साल का ४२० किलो गेहूं दिया। वैसे उक्त दुकान का महीने का आवंटन १५६ क्विंटल है, लेकिन मार्च २०१७ में इस दुकान ने ५०० क्विंटल गेहूं उठाया, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के हजारों बोरी गेहूं का पोस मशीन से फर्जी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वाले शहर के १२ राशन डीलर्स के खिलाफ अब तक रसद विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है। केवल एक महीने में ही १३ लाख रुपए के गेहूं का गबन करने वाले इन डीलर्स का लाइसेंस निलंबित किए हुए छह महीने होने वाले हैं, लेकिन रसद विभाग के अधिकारियों ने अब तक न तो गबन की राशि वसूल की है और न ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। खाद्य विभाग के नियमानुसार अगर राशन की कोई दुकान ३ महीने निलंबित रहती है और उस पर कार्यवाही नहीं होती है तो वह तीन महीने बाद स्वत: ही बहाल हो जाती है। इस नियम का फायदा उठाकर १२ में से एक राशन डीलर को कोर्ट ने स्टे भी दे दिया।
निलंबन के आदेश अनियमितताओं के कारण परसाराम की दुकान का लाइसेंस निलंबित किया गया है। इसके अलावा भी तीन अन्य दुकानें निलंबित की जा रही है। निलंबन के बाद जांच की जाएगी। -निर्मला मीणा, जिला रसद अधिकारी