चारण ने इससे पहले 2013 में आरएएस परीक्षा दी थी। इसमें उनकी 696 रैंक बनी, लेकिन कोई पद नहीं मिल सका। वर्ष 2016 में आई आरएएस भर्ती में उन्होंने फिर से तैयार की। इस बार प्रथम रैंक मिली। चारण कहते हैं कि उन्हें सफलता का तो पूरा भरोसा था, लेकिन टॉप रहेंगे, इस पर यकीन नहीं हो रहा। चारण ने कहा कि उनका बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य था। वे आरएएस के समानांतर आईएएस की तैयारी भी कर रहे हैं।
पढ़ाई में औसत छात्र
भवानी स्कूल और कॉलेज में औसत छात्र रहे हैं। दसवीं में उन्होंने 70 फीसदी, 12वीं में 65 फीसदी, बीएससी में 72 फीसदी अंक हासिल करने के बाद उन्होंने बीएड की। सैकेण्ड ग्रेड टीचर एग्जाम में सलेक्शन के बाद वे सिणली में पदस्थापित है। भवानी के पिता प्रकाशदान चारण भी पाली जिले में सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। माता विमला कंवर गृहणी हंै। छोटा भाई बीएड कर रहा है। 25 वर्षीय चारण अविवाहित है।
भवानी स्कूल और कॉलेज में औसत छात्र रहे हैं। दसवीं में उन्होंने 70 फीसदी, 12वीं में 65 फीसदी, बीएससी में 72 फीसदी अंक हासिल करने के बाद उन्होंने बीएड की। सैकेण्ड ग्रेड टीचर एग्जाम में सलेक्शन के बाद वे सिणली में पदस्थापित है। भवानी के पिता प्रकाशदान चारण भी पाली जिले में सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। माता विमला कंवर गृहणी हंै। छोटा भाई बीएड कर रहा है। 25 वर्षीय चारण अविवाहित है।
भवानी के साथ पढऩे वाले जितेंद्र की 35 वीं रैंक आरएएस में जोधपुर के जितेंद्र सिंह राठौड़ ने 35वीं रैंक प्राप्त की है। जितेंद्र और आरएएस टॉपर भवानीसिंह चारण दोनों एक साथ ही पढ़ाई किया करते थे। विशेष बात यह है कि आरएएस-2013 में भवानी ने जहां 696वीं रैंक प्राप्त की थी, वहीं जितेंद्र की 635वीं रैंक थी। इस बार भवानी ने पूरी तरीके से बाजी मार ली। जितेंद्र कहते हैं कि उन्हें तो सलेक्शन का भी भरोसा नहीं था। आरएएस सफल अभ्यर्थियों की सूची में नाम देखकर खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
शेरगढ़ निवासी जितेंद्र के पिता कानसिंह हैं, जो गांव में ही खेतीबाड़ी करते हैं। जितेंद्र यहां बीजेएस कॉलोनी में अपने बड़े भाई नरेंद्र सिंह के साथ रहते हैं। जितेंद्र भी मुख्य परीक्षा में अभ्यास और मॉक इंटरव्यू को सफलता का आधार मानते हैं। वे भी मुख्य परीक्षा की टेस्ट सीरिज को छोड़कर पढ़ाई स्वयं ही किया करते थे। जितेंद्र आरपीएस रहे अपने दादा रघुनाथ सिंह और वर्तमान में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बड़े पापा परबतसिंह से प्रेरित थे। वर्तमान में जितेंद्र डिस्कॉम में क्लर्क हैं, जहां पांच साल से पदस्थापित हैं।