जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि धरती के 70 फीसदी हिस्से पर पानी होने के बाद भी उसका सिर्फ एक फीसदी हिस्सा ही इंसानी हक में है। नतीजतन स्थिति यह है कि जलस्रोत तेजी से सूख रहे हैं। भारत ही नहीं, समूचे एशिया में यही स्थिति है, क्योंकि इस महाद्वीप में दुनिया की 60 फीसदी आबादी महज 36 फीसदी जल संसाधनों पर निर्भर है। बाकी सभी महाद्वीपों में जल संसाधनों के मुकाबले आबादी का अनुपात कहीं कम है।
शहरों को पानी की दरकार कहीं ज्यादा यह ध्यान रखने वाली बात है कि आने वाले एक दशक में उद्योगों के लिए पानी की जरूरत 23 फीसदी के आसपास होगी। तब खेती के लिए पानी के हिस्से में कटौती करने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण के चलते गांवों के मुकाबले शहरों को पानी की दरकार कहीं ज्यादा होगी।
चिंता की बात यह है एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक देश की 55 फीसदी आबादी शहरों में बसेगी, मतलब पानी की बर्बादी अभी से कहीं ज्यादा होगी। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि देश में उपलब्ध जल संसाधनों के उपयोग में सालाना 5-10 प्रतिशत ही बढ़ोतरी हो सकी है। इसलिए पानी बचाना बहुत जरूरी है। पानी की अहमियत और पानी की बचत पर शाइरों ने भी ध्यान दिलाया है :
मांझी को तो मौजों पे नाहक हैरानी है
मछली से भी पूछ के देखो कितना पानी है
– शीन काफ निजाम
— हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देखRefresh
मोहम्मद अल्वी
मछली से भी पूछ के देखो कितना पानी है
– शीन काफ निजाम
— हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर
पानी में रौशनी को उतरते हुए भी देखRefresh
मोहम्मद अल्वी
— अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफसाना लिखता है – बशीर बद्र
— मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफसाना लिखता है – बशीर बद्र
— मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
राहत इंदौरी — रेत को भी समझ लिया पानी, हाय क्या चीज प्यास होती है
-सिकंदर शाह खुशदिल … बूंद-बूंद पानी बचाना होगा बहरहाल पानी बहुत अनमोल है। हमें पानी का मोल समझते हुए बूंद-बूंद पानी बचाना होगा।
-सिकंदर शाह खुशदिल … बूंद-बूंद पानी बचाना होगा बहरहाल पानी बहुत अनमोल है। हमें पानी का मोल समझते हुए बूंद-बूंद पानी बचाना होगा।
………………. -एम आई जाहिर