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1971 के युद्ध के दौरान पाक जेल में रहे वायुसेना के दो पायलट ने बताई आपबीती, साझा किए दर्द

locationजोधपुरPublished: Sep 17, 2017 04:45:08 pm

जब युद्ध बंदियों को पाक में सहनी पड़ी यातनाएं
 

 two pilots shared experiences during war of 1971

two pilots shared experiences during war of 1971

जोधपुर. युद्ध के दौरान बंदी बनाए सैनिकों पर भी पाक जुल्म ढाने से पीछे नहीं हटता, जबकि युद्ध बंदियों को लेकर जिनेवा के नियमों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सदस्य देशों को पालना करनी होती है। यह बात 1971 युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए भारतीय पायलट जेएल भार्गव और एमएस ग्रेवाल ने बताई। दोनों शनिवार को जोधपुर एयरफोर्स के ऑफिसर्स मैस में वायुसेना पर बन रही फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन एस्केप-खुले आसमान की ओर’ का प्रमोशन करने पहुंचे।
प्यास के मारे गिर पड़े धोरों में

भार्गव ने बताया कि युद्ध के दौरान वे लड़ाकू विमान सहित दुश्मन की सीमा में चले गए। गोली लगने से उनका प्लेन क्रैश हो गया और वे पैराशूट की सहायता से कूद गए। पाकिस्तान के रेतीले धोरों में पहुंचे प्यास से गला सूख रहा था और इतने थक चुके थे कि गिर गए। दूर एक झोंपड़ी नजर आई। उनके पास पाकिस्तान के 300 रुपए थे। उन्होंने दस रुपए का नोट निकाला और खुद को पायलट मंसूर अली बता पानी पिया और बोतलें भी भरवाई। वे दिशासूचक यंत्र की सहायता से भारत की ओर पैदल चलते रहे। सात किलोमीटर पहले पाक ग्रामीणों ने रोक लिया। फौज ने ले जाकर पूछताछ की। पाक फौज को यकीन हो गया कि मंसूर अली पाकिस्तान के पायलट हैं। कलमा पढऩे की बात पर सच उगलना पड़ा। इस उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
अलग रखा जाता था कैद में

पाकिस्तान फौज के द्वारा पकड़े गए पायलट ग्रेवाल ने बताया कि उन्हें रावलपिंडी की जेल में बंद किया गया। कैद में अलग रखा जाता था। भारतीय युद्ध बंदियों पर जिनेवा नियमों के विपरीत यातनाएं दी जाती थी। लंबे समय तक उन्हें नहीं पता था कि कौन-कौन पकड़े गए। एक साथ शिफ्ट किया गया तो पता चला कि 12 पायलट, सात आर्मी अफसर व 600 जवान भी पकड़े गए। यह भी पता चला कि वे युद्ध जीत चुके थे और भारत में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक युद्धबंदी बना लिए गए।

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