प्यास के मारे गिर पड़े धोरों में भार्गव ने बताया कि युद्ध के दौरान वे लड़ाकू विमान सहित दुश्मन की सीमा में चले गए। गोली लगने से उनका प्लेन क्रैश हो गया और वे पैराशूट की सहायता से कूद गए। पाकिस्तान के रेतीले धोरों में पहुंचे प्यास से गला सूख रहा था और इतने थक चुके थे कि गिर गए। दूर एक झोंपड़ी नजर आई। उनके पास पाकिस्तान के 300 रुपए थे। उन्होंने दस रुपए का नोट निकाला और खुद को पायलट मंसूर अली बता पानी पिया और बोतलें भी भरवाई। वे दिशासूचक यंत्र की सहायता से भारत की ओर पैदल चलते रहे। सात किलोमीटर पहले पाक ग्रामीणों ने रोक लिया। फौज ने ले जाकर पूछताछ की। पाक फौज को यकीन हो गया कि मंसूर अली पाकिस्तान के पायलट हैं। कलमा पढऩे की बात पर सच उगलना पड़ा। इस उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
अलग रखा जाता था कैद में पाकिस्तान फौज के द्वारा पकड़े गए पायलट ग्रेवाल ने बताया कि उन्हें रावलपिंडी की जेल में बंद किया गया। कैद में अलग रखा जाता था। भारतीय युद्ध बंदियों पर जिनेवा नियमों के विपरीत यातनाएं दी जाती थी। लंबे समय तक उन्हें नहीं पता था कि कौन-कौन पकड़े गए। एक साथ शिफ्ट किया गया तो पता चला कि 12 पायलट, सात आर्मी अफसर व 600 जवान भी पकड़े गए। यह भी पता चला कि वे युद्ध जीत चुके थे और भारत में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक युद्धबंदी बना लिए गए।