रामनिवास अकेला एेसा रोगी नहीं है जिसमें ये लक्षण नजर आ रहे हैं। दरअसल सितम्बर के प्रथम सप्ताह से लेकर अब तक ओपीडी में वायरस से संक्रमित रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। एमडीएम अस्पताल के साथ गांधी अस्पताल के मेडिकल आउटडोर में २५ फीसदी रोगी वायरस के हैं। सामान्यतया वायरस का टेस्ट उपलब्ध नहीं है। एेसे में डॉक्टर मरीजों के लक्षणों के आधार पर उनमें वायरस की पहचान कर उपचार कर रहे हैं। इसमें इंफ्लुएंजा, डेंगू, चिकनगुनिया, पारो बी-१९, रुबेला, एप्सिटिन, इको वायरस प्रमुख है। एक ही मरीज में कई वायरसों के हमले से उसमें वायरल आर्थराइटिस (घुटनों में दर्द) और वायरल थ्रोम्बोसाइटोपिनिया (प्लेटलेट्स की कमी) हो रहा है।
किस वायरस से कितने पीडि़त
– १२ फीसदी पारो बी:१९ – ३७ फीसदी चिकनगुनिया
– २२ फीसदी डेंगू – ५ फीसदी एपेस्टिन वायरस
– ७ फीसदी कॉक्सफेस्की – ८ फीसदी एडिनो वायरस
– २ फीसदी रुबेला वायरस
– १२ फीसदी पारो बी:१९ – ३७ फीसदी चिकनगुनिया
– २२ फीसदी डेंगू – ५ फीसदी एपेस्टिन वायरस
– ७ फीसदी कॉक्सफेस्की – ८ फीसदी एडिनो वायरस
– २ फीसदी रुबेला वायरस
– ७ फीसदी अन्य वायरस लक्षणों से पहचान रहे फिजिशियन
– तेज बुखार और जोड़ों में दर्द- खून की कमी और शरीर पर लाल-लाल चकते होने पर पारो बी-१९ वायरस
– तेज बुखार और जोड़ों में दर्द- खून की कमी और शरीर पर लाल-लाल चकते होने पर पारो बी-१९ वायरस
– प्लेटलेट्स कम होने के साथ हड्डी तोड़ बुखार होने पर डेंगू वायरस
– शरीर के कई जोड़ों में असहनीय दर्द के साथ चलना मुश्किल होने पर चिकनगुनिया – खून घटने के बजाय बढऩे पर कॉक्सफेसकी वायरस
– जोड़ों में दर्द के साथ खांसी होने पर एडिनो वायरस
– शरीर के कई जोड़ों में असहनीय दर्द के साथ चलना मुश्किल होने पर चिकनगुनिया – खून घटने के बजाय बढऩे पर कॉक्सफेसकी वायरस
– जोड़ों में दर्द के साथ खांसी होने पर एडिनो वायरस
– केवल ३-४ जोड़ों में दर्द हो तो पैवो वायरस
(एमडीएम अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नवीन किशोरिया के अनुसार ) सितम्बर में यूं बढ़ा वायरसों का प्रकोप सप्ताह —–वायरल मरीजों का कुल ओपीडी में प्रतिशत
प्रथम सप्ताह—-५ फीसदी
(एमडीएम अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नवीन किशोरिया के अनुसार ) सितम्बर में यूं बढ़ा वायरसों का प्रकोप सप्ताह —–वायरल मरीजों का कुल ओपीडी में प्रतिशत
प्रथम सप्ताह—-५ फीसदी
द्वितीय सप्ताह— ९ फीसदी
तृतीय सप्ताह —१७ फीसदी चतुर्थ सप्ताह— २१ फीसदी
पंचम सप्ताह —-२५ फीसदी शहर में मच्छरों का कहर डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के पूर्व वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. दिनेश कोठारी कहते हैं कि डेंगू वायरस का वाहन एडिज मच्छर और चिकनगुनिया का वाहक क्यूलेक्स मच्छर होता है। दोनों ही मच्छर साफ पानी के हैं और दोनों ही दिन में लोगों को काटते हैं। शहर में दोनों ही मच्छरों की भरमार है। एेसे में अधिकांश रोगी चिकनगुनिया और डेंगू के सामने आ रहे हैं। डेंगू से अधिक चिकनगुनिया का प्रकोप है। कई मरीजों की एंटीबॉडी देरी से बनने की वजह से चिकनगुनिया रिपोर्ट तो नेगेटिव आती है लेकिन होता उसमें चिकनगुनिया वायरस ही है। उधर मलेरिया के रोगी बहुत कम है यानी शहर में एनोफिलिज मच्छर नहीं है। चिकित्सा विभाग ने अगर मच्छरों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया तो दिवाली तक स्थिति और गंभीर हो सकती है।
तृतीय सप्ताह —१७ फीसदी चतुर्थ सप्ताह— २१ फीसदी
पंचम सप्ताह —-२५ फीसदी शहर में मच्छरों का कहर डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज के पूर्व वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. दिनेश कोठारी कहते हैं कि डेंगू वायरस का वाहन एडिज मच्छर और चिकनगुनिया का वाहक क्यूलेक्स मच्छर होता है। दोनों ही मच्छर साफ पानी के हैं और दोनों ही दिन में लोगों को काटते हैं। शहर में दोनों ही मच्छरों की भरमार है। एेसे में अधिकांश रोगी चिकनगुनिया और डेंगू के सामने आ रहे हैं। डेंगू से अधिक चिकनगुनिया का प्रकोप है। कई मरीजों की एंटीबॉडी देरी से बनने की वजह से चिकनगुनिया रिपोर्ट तो नेगेटिव आती है लेकिन होता उसमें चिकनगुनिया वायरस ही है। उधर मलेरिया के रोगी बहुत कम है यानी शहर में एनोफिलिज मच्छर नहीं है। चिकित्सा विभाग ने अगर मच्छरों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया तो दिवाली तक स्थिति और गंभीर हो सकती है।
एंटीबायोटिक दवाइयां नहीं लें
– एंटीबायोटिक दवाइयां केवल बैक्टिरिया से लडऩे में काम आती है। अगर तेज खांसी आ रही है तो डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ली जा सकती है। – वायरल संक्रमण में केवल पैरासीटामॉल लेते रहे। इससे बुखार कम होता रहेगा।
– ठीक होने में एक सप्ताह लगता है। एेसे में घर में आराम अधिक करें। शारीरिक हरकतें कम होने से शरीर में वायरस का फैलाव कम होता है।
– एंटीबायोटिक दवाइयां केवल बैक्टिरिया से लडऩे में काम आती है। अगर तेज खांसी आ रही है तो डॉक्टरी सलाह से एंटीबायोटिक ली जा सकती है। – वायरल संक्रमण में केवल पैरासीटामॉल लेते रहे। इससे बुखार कम होता रहेगा।
– ठीक होने में एक सप्ताह लगता है। एेसे में घर में आराम अधिक करें। शारीरिक हरकतें कम होने से शरीर में वायरस का फैलाव कम होता है।
– एंटी इनफ्लेमेटरी दवाइयां नहीं लें। इसकी बजाय हल्दी और अदरक का सेवन करें जो एंटी इनफ्लेमेटरी है।
– पानी अधिक पीएं। इससे मूत्र साफ आएगा। अधिक पानी पीने से जल्दी स्वस्थ होगे। – हरी सब्जियां और फलों का सेवन करते रहें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने पर वायरस मर जाएंगे।
– प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मूंग दाल खानी चाहिए। इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई, आयरन, कैल्सिशम और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में है।
– पानी अधिक पीएं। इससे मूत्र साफ आएगा। अधिक पानी पीने से जल्दी स्वस्थ होगे। – हरी सब्जियां और फलों का सेवन करते रहें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने पर वायरस मर जाएंगे।
– प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मूंग दाल खानी चाहिए। इसमें विटामिन ए, बी, सी, ई, आयरन, कैल्सिशम और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में है।