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प्रयागराज

तुम्हारे घर वाले हमारे यहां लीद उठाते थे

नाटककार विजय तेंदुलकर के नाटक ‘जाति ही पूछो साधो कीÓ का सोमवार को टाउन हॉल में सफल मंचन किया गया। नाटक में जातिवाद पर गहरी चोट की गई।

प्रयागराजApr 04, 2017 / 08:22 am

Harshwardhan bhati

drama

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नाटक में एक युवक थर्ड डिविजन से एमबीए पास करता है। उसकी गांव में एक तबेले जैसे स्कूल में नौकरी लगती है। वहां सरपंच की बेटी नलिनी उसके अधीन लेक्चरर है। दोनों का लव अफेयर हो जाता है और यह बात कक्का को पसंद नहीं आती है। कक्का के डर और कहीं और सजातिय रिश्ता होने पर लड़की अपने प्रेमी से प्रेम पत्र वापस लेने जाती है और वहां यह डायलॉग बोल कर उसके साथ रिश्ता तोड़ देती है और लड़का ठगा सा देखता रह जाता है।नाटक में आम बोलचाल में बोली जाने वाली गालियों का प्रयोग कुछ दर्शकों को अखरा। शुरुआत में नाटक में अच्छी पकड़ थी, मगर बाद में नाटक झूलने लगा।
पर्दे पर अदाकार

नाटक में शिक्षक महिपत बबरू वाहन के रूप में सैफुल्लाह खान, कक्का के किरदार में भरत वैष्णव, नायक की गर्ल फे्रंड नलिनी के रूप में अनुपमा चौहान ने अदाकारी की। प्रेमियों को मिलने न देने वाली बॉडीगार्ड पूतना मासी के रूप में पूजा जोशी ने अभिनय किया। जबकि प्रिंसिपल के किरदार में चंद्र भाटी और विद्यार्थियों की भूमिका में बासित खान, प्रवीण, रिजवान और नवीन ने अदाकारी की। जबकि सरपंच के बेटे बबना गुण्डे के रूप में उम्मेद भाटी ने अभिनय किया।
पर्दे के पीछे

लाइट की जिम्मेदारी इमरान खान ने निभाई। वेशभूषा का दायित्व भरत वैष्णव ने निभाया। साउंड की जिम्मेदारी उम्मेद भाटी ने निभाई।


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