निमोनिया मुख्यत: फेफ ड़े का संक्रमण होता है। जो किसी भी उम्र में हो सकता है। जब एक या दोनों फेफ ड़े में तरल पदार्थ भर जाए तो फेफ ड़े को ऑक्सीजन लेने में कठिनाई होने लगती है। निमोनिया होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख बैक्टीरिया, वायरस, फं गस और कुछ अन्य परजीवी भी हैं। इसके अतिरिक्त कुछ रसायनों और फेफ ड़े में लगी चोट के कारण भी निमोनिया होता है। बैक्टीरिया से होने वाला निमोनिया दो से चार सप्ताह में ठीक हो सकता है। जबकि वारयल जनित निमोनिया को ठीक होने में अधिक समय लग जाता है।
तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना, उल्टी होना, सीने या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, होठों और नाखून का रंग नीला पडऩा, पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता है।
आउटडोर में आने वाले 70 प्रतिशत बच्चों में श्वास लेने की समस्या होती है। पहले 40 प्रतिशत बच्चे टीबी व निमोनिया के होते थे, लेकिन अब ज्यादा बच्चे वायरल निमोनिया के है। अब केवल दस प्रतिशत बच्चे टीबी व बैक्टिरियल निमोनिया के सामने आ रहे है।
– डॉ. अनुरागसिंह, एचओडी, शिशु रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज