scriptजोधपुर के बच्चों में बढऩे लगा है वायरल निमोनिया, उम्मेद व एमडीएम अस्पताल में आ रहे हैं सर्वाधिक मरीज | viral pneumonia is increasing in children of jodhpur | Patrika News

जोधपुर के बच्चों में बढऩे लगा है वायरल निमोनिया, उम्मेद व एमडीएम अस्पताल में आ रहे हैं सर्वाधिक मरीज

locationजोधपुरPublished: Feb 16, 2020 02:40:03 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

निमोनिया मुख्यत: फेफ ड़े का संक्रमण होता है। जो किसी भी उम्र में हो सकता है। जब एक या दोनों फेफ ड़े में तरल पदार्थ भर जाए तो फेफ ड़े को ऑक्सीजन लेने में कठिनाई होने लगती है। निमोनिया होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख बैक्टीरिया, वायरस, फं गस और कुछ अन्य परजीवी भी हैं।

viral pneumonia is increasing in children of jodhpur

जोधपुर के बच्चों में बढऩे लगा है वायरल निमोनिया, उम्मेद व एमडीएम अस्पताल में आ रहे हैं सर्वाधिक मरीज

अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. लगातार सरकार की ओर से टीबी व बैक्टिरियल निमोनिया पर कार्य करने की वजह से बच्चों में ये बीमारी कम हो गई है, लेकिन चिंता की बात ये है कि दूसरी ओर आजकल वायरल निमोनिया के मरीज अस्पतालों में आकर ज्यादा भर्ती हो रहे है। इसमें कई बाल मरीज तो गांवों से रैफर होकर गंभीर हालत में अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिनकी जान बचाना तक यहां के अस्पतालों में कई बार मुश्किल हो जाता है।
क्यों होता है निमोनिया
निमोनिया मुख्यत: फेफ ड़े का संक्रमण होता है। जो किसी भी उम्र में हो सकता है। जब एक या दोनों फेफ ड़े में तरल पदार्थ भर जाए तो फेफ ड़े को ऑक्सीजन लेने में कठिनाई होने लगती है। निमोनिया होने के कई कारण होते हैं, जिनमें प्रमुख बैक्टीरिया, वायरस, फं गस और कुछ अन्य परजीवी भी हैं। इसके अतिरिक्त कुछ रसायनों और फेफ ड़े में लगी चोट के कारण भी निमोनिया होता है। बैक्टीरिया से होने वाला निमोनिया दो से चार सप्ताह में ठीक हो सकता है। जबकि वारयल जनित निमोनिया को ठीक होने में अधिक समय लग जाता है।
ये भी लक्षण है
तेज सांस लेना, कफ की आवाज आना, उल्टी होना, सीने या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, होठों और नाखून का रंग नीला पडऩा, पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता है।
इनका कहना
आउटडोर में आने वाले 70 प्रतिशत बच्चों में श्वास लेने की समस्या होती है। पहले 40 प्रतिशत बच्चे टीबी व निमोनिया के होते थे, लेकिन अब ज्यादा बच्चे वायरल निमोनिया के है। अब केवल दस प्रतिशत बच्चे टीबी व बैक्टिरियल निमोनिया के सामने आ रहे है।
– डॉ. अनुरागसिंह, एचओडी, शिशु रोग विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो