अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामनिवास सेंवर ने बताया कि विभाग की ओर से चिकित्सा संस्थानों, उप स्वास्थ्य केन्द्र, पीएचसी, सीएचसी, व जिला अस्पताल में विटामिन-ए की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। कार्यक्रम के तहत नौ माह से 12 माह तक एवं विटामिन-ए की अतिरिक्त खुराक पिलाने के लिए एक वर्ष से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों को चिन्हित किया जाएगा। आशा सहयोगिनियों द्वारा घर-घर जाकर विटामिन-ए की खुराक के लिए बच्चों की पहचान कर ड्यू लिस्ट तैयार की जाएगी। डॉ. सेंवर ने बताया कि विटामिन-ए अभियान के दौरान आंगनबाड़ी केन्द्रों शहरी व ग्रामीण, उप स्वास्थ्य केन्द्र, शहरी क्षेत्र में अरबन पीएचसी में सभी नौ माह से पांच वर्ष के बच्चों को विटामिन-ए की दवा पिलाई जाएगी। इस दौरान कोविड गाइडलाइन का पालन भी किया जाएगा। इसके लिए सभी बीसीएमओ चिकित्सा अधिकारी प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं। वहीं किसी बच्चें में कोविड-19 के लक्षण दिखाई देने पर एएनएम, आशा, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं द्वारा उस बच्चे को विटामिन-ए की दवा नहीं पिलाई जाएगी।
ये होते हैं लक्षण
बच्चों में संतुलित आहार की कमी या लीवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन-ए की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन कम होने पर हल्की थकान, रूखी त्वचा, रैशेज, रूखे बाल, बाल झड़ने, बार-बार इंफेक्शन होना, एनीमिया, धीमा विकास होना, गले और छाती में इंफेक्शन, घाव न भरने जैसे संकेत मिलते हैं।
ये होते हैं लक्षण
बच्चों में संतुलित आहार की कमी या लीवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन-ए की कमी हो सकती है। शरीर में विटामिन कम होने पर हल्की थकान, रूखी त्वचा, रैशेज, रूखे बाल, बाल झड़ने, बार-बार इंफेक्शन होना, एनीमिया, धीमा विकास होना, गले और छाती में इंफेक्शन, घाव न भरने जैसे संकेत मिलते हैं।