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जल की ‘शक्ति’ बढ़ा देते तो 10 साल बाद फिर नहीं होता संकट

locationजोधपुरPublished: Jul 15, 2019 12:20:49 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

मारवाड़ में मानसून की बेरुखी से बने जल संकट में राजनीतिक व प्रशासनिक ढिलाई भी जिम्मेदार, जवाई पुनर्भरण और केनाल तीसरा फेज के साथ

jal shakti ministry

जल की ‘शक्ति’ बढ़ा देते तो 10 साल बाद फिर नहीं होता संकट

अविनाश केवलिया/जोधपुर. मानसून में देरी के कारण पश्चिमी राजस्थान में मंडरा रहा जल संकट कुछ दिनों में और भीषण होने वाला है। इसका कारण है कि 10 साल पहले आए संकट के समय बने प्रस्तावों को अब तक धरातल पर लागू नहीं किया जा सका। चाहे जवाई पुर्नभरण का मुद्दा हो या राजीव गांधी लिफ्ट केनाल का तीसरा चरण, सरकारों ने किसी को भी कागजों से बाहर नहीं निकाला। यही कारण है कि जोधपुर-पाली जैसे शहरोन को पेयजल के लिए पूरी तरह से मानसून पर निर्भर होना पड़ रहा है।
क्या है पाली की समस्या का कारण
पाली जिले की समस्या का कारण एक दशक से जवाई पुर्नभरण योजना का धरातल पर लागू नहीं होना है। इसके तहत साबरमती बेसिन से 65 सौ एमसीएफटी पानी जवाई बांध में जाना है। इससे पाली जिले और कुछ हिस्से में सिरोही व जालोर जिले के गांवों की भी प्यास बुझाई जा सकती है। इसकी डीपीआर बनाने तक काम हुए। लेकिन इसके बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस योजना की अनुमानित लागत 3 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी।
अब यह स्थिति
फिलहाल जवाई बांध के लाइव स्टोरेज में महज 16 जुलाई तक का पानी बचा है। शहरों में 72 से 96 घंटे तक सप्लाई किया जा रहा है। 23 जुलाई तक जवाई बांध से पानी लिया जाएगा। इसके बाद जोधपुर से ट्रेन जाएगी। इसके लिए 13 करोड़ की मंजूरी दे दी गई है। 10 एमएलडी पानी प्रतिदिन जोधपुर के भगत की कोठी स्टेशन से भरा जाएगा और वाटर ट्रेन के जरिये जोधपुर जाएगा।
अब यह नया भार
इस बजट में जवाई बांध से सिरोही जिले के शिवगंज क्षेत्र को जोडऩे के लिए डीपीआर बनाई जाएगी। मतलब बिना पुर्नभरण किए जवाई पर बोझ और बढ़ेगा।

क्या है जोधपुर की समस्या का कारण
जोधपुर के लिए 350 क्यूसेक पानी स्वीकृत है। लेकिन वर्तमान में हमें महज 270 क्यूसेक पानी मिलता है। ऐसा राजीव गांधी लिफ्ट केनाल का तीसरा चरण पूरा नहीं होने के कारण है जो कि पिछले 7 साल से अटका हुआ है। हालात यह है कि वर्तमान में जो पानी हमें मिल रहा है उसके अतिरिक्त 2-3 एमसीएफटी तक पानी संचित कायलाना-तख्तसागर से लेना पड़ रहा है। अब उसी संचित पानी में से 10 एमएलडी प्रतिदिन पाली के लिए वाटर ट्रेन से भेजने की तैयारी है।

अब यह हुई स्थिति

जोधपुर में प्रतिदिन 270 क्यूसेक पानी मिल रहा है। लेकिन स्वीकृति 350 क्यूसेक है। गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में खपत अधिक होने से यह पानी शहर के लिए पर्याप्त नहीं हो रहा है। इसीलिए जोधपुर के जलाशयों से प्रति 2-3 एमसीएफटी पानी लिया जा रहा है। अब जोधपुर जलाशयों में रिजर्व 180-180 एमसएफटी पानी ही बचा है।

अब यह नया भार

अब जोधपुर के दांतीवाड़ा से सोजत को जोडऩे की घोषणा की गई है। इससे 10 ग्राम पंचायतें जुड़ेगी। ऐसे में नहर में पानी बढ़ाने की बजाय गांवों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
इनका कहना…
अगले सप्ताह की शुरुआत तक बारिश का इंतजार किया जाएगा, इसके बाद वाटर ट्रेन भेजी जाएगी। इस प्रोजेक्ट को सहमति मिल गई है। 13 करोड़ का बजट भी पास हो गया है।

– नीरज माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीएचईडी जोधपुर
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