पाली जिले की समस्या का कारण एक दशक से जवाई पुर्नभरण योजना का धरातल पर लागू नहीं होना है। इसके तहत साबरमती बेसिन से 65 सौ एमसीएफटी पानी जवाई बांध में जाना है। इससे पाली जिले और कुछ हिस्से में सिरोही व जालोर जिले के गांवों की भी प्यास बुझाई जा सकती है। इसकी डीपीआर बनाने तक काम हुए। लेकिन इसके बाद ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इस योजना की अनुमानित लागत 3 हजार करोड़ रुपए आंकी गई थी।
फिलहाल जवाई बांध के लाइव स्टोरेज में महज 16 जुलाई तक का पानी बचा है। शहरों में 72 से 96 घंटे तक सप्लाई किया जा रहा है। 23 जुलाई तक जवाई बांध से पानी लिया जाएगा। इसके बाद जोधपुर से ट्रेन जाएगी। इसके लिए 13 करोड़ की मंजूरी दे दी गई है। 10 एमएलडी पानी प्रतिदिन जोधपुर के भगत की कोठी स्टेशन से भरा जाएगा और वाटर ट्रेन के जरिये जोधपुर जाएगा।
इस बजट में जवाई बांध से सिरोही जिले के शिवगंज क्षेत्र को जोडऩे के लिए डीपीआर बनाई जाएगी। मतलब बिना पुर्नभरण किए जवाई पर बोझ और बढ़ेगा। क्या है जोधपुर की समस्या का कारण
अब यह हुई स्थिति जोधपुर में प्रतिदिन 270 क्यूसेक पानी मिल रहा है। लेकिन स्वीकृति 350 क्यूसेक है। गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में खपत अधिक होने से यह पानी शहर के लिए पर्याप्त नहीं हो रहा है। इसीलिए जोधपुर के जलाशयों से प्रति 2-3 एमसीएफटी पानी लिया जा रहा है। अब जोधपुर जलाशयों में रिजर्व 180-180 एमसएफटी पानी ही बचा है।
अब यह नया भार अब जोधपुर के दांतीवाड़ा से सोजत को जोडऩे की घोषणा की गई है। इससे 10 ग्राम पंचायतें जुड़ेगी। ऐसे में नहर में पानी बढ़ाने की बजाय गांवों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
अगले सप्ताह की शुरुआत तक बारिश का इंतजार किया जाएगा, इसके बाद वाटर ट्रेन भेजी जाएगी। इस प्रोजेक्ट को सहमति मिल गई है। 13 करोड़ का बजट भी पास हो गया है। – नीरज माथुर, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीएचईडी जोधपुर