scriptvideo: वर्षों से फाइलों में अटकी मायड़ भाषा को कब मिलेगी मान्यता | When will the Rajasthani language stuck in the files over the years? | Patrika News

video: वर्षों से फाइलों में अटकी मायड़ भाषा को कब मिलेगी मान्यता

locationजोधपुरPublished: Apr 06, 2019 09:53:23 pm

-इलेक्शन टॉक -मुद्दा क्या है में बोले नवमतदाता
-बड़ा मुद्दा- जैसलमेर-जोधपुर मार्ग के सेंटर में बने ट्रोमा सेंटर

When will the Rajasthani language stuck in the files over the years?

video: वर्षों से फाइलों में अटकी मायड़ भाषा को कब मिलेगी मान्यता

जोधपुर. न जाति के नाम पर न धर्म के नाम पर हम वोट देंगे सिर्फ काम के नाम पर। इस बार वोट उसे देंगे जो फाइलों में बंद राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की बात करेगा। भारत का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं ने यह बात शनिवार को आयोजित परिचर्चा मुद्दा क्या है में कही। पहली बार मतदान करने वाले युवाओं ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी, राजस्व समस्याओं पर अपने विचार रखे, लेकिन राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने की बात पर सभी ने एक स्वर में आने वाले चुनावों में जनप्रतिनिधियों के समक्ष इसे मुद्दा बनाकर सवाल पूछने की बात भी कही।
चर्चा की शुरुआत में शौभाग सिंह चांदसमा ने कहा कि चुनाव के समय किए गए वादों को जनप्रतिनिधि समय पर पूरा नहीं करते। इसके लिए अवमानना कानून लागू होना चाहिए। साथ ही नए वकीलों की तय सीमा में पांच वर्ष के लिए भत्ता देने की बात भी कही। सवाई सिंह सारुंडा ने रोजगार को बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि बयानबाजी के बजाय मुद्दों पर बात होनी चाहिए।
खेल सुविधाओं का हो विस्तार

छात्रनेता भूपेंद्रसिंह सांकड़ा ने कहा कि संभाग के सबसे बड़े जयनारायण व्यास विवि में खेल सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। दूसरी तरफ सभी खेलों को बढ़ावा देने की बात रहे हैं। एेसे में खिलाड़ी कहां से पैदा होंगे। मोतीसिंह फलसूंड ने कहा कि राजस्व समस्याओं से निजात के लिए फलसूंड क्षेत्र में नजदीकी तहसील व उपखंड मुख्यालय हो।
करण सिंह झालरिया ने जोधपुर से जैसलमेर के सेंटर पाइंट पर ट्रोमा सेंटर की जरूरत बताई और कहा कि इस रूट पर होने वाले हादसे में कई घायल पर्याप्त इलाज के अभाव में राह में ही दम तोड़ देते हैं।
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