बेनू की उम्र 4.6 बिलियन वर्ष है। वहां अब चट्टानें छोटे-छोटे टुकड़ों व कणों में टूटकर बुरादे में तब्दील हो गई है। इन चट्टानों के परीक्षण से वैज्ञानिक वह समय निकालने की कोशिश करेंगे, जिससे पृथ्वी की भू-आकृतियों (पर्वत, पठार, चट्टानों) के भविष्य के बारे में पता चल सकेगा। बेनू की चट्टान के नमूने लेने के लिए नासा ने २०१६ में ओसिरिस रेक्स को भेजा था। ओसिरिस-रेक्स ने गत वर्ष २० अक्टूबर को बेनू पर पहुंचकर वहां से मिट्टी का नमूना लिया था।
इटली में होगी नमूनों की जांच होगी नासा के इस मिशन में शामिल जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र भण्डारी के अनुसार ओसिरिस रेक्स के नमूनों की जांच इटली में होगी। फिलहाल वैज्ञानिकों ने स्टेनलेस स्टील व प्लास्टिक के सात सेंटीमीटर के विशेष कंटेनर तैयार किए हैं। अलग-अलग कंटेनरों में नमूना लेकर नमूनों की जांच की जाएगी, ताकि नमूना प्राकृतिक रूप में रहे।
पृथ्वी के चक्कर लगा रहा बेनू
मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य एस्टेरॉइड बेल्ट में करीब 40,000 एस्टेरोइड चक्कर लगाते हैं। कुछ समय पहले पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा बेनू लगातार पृथ्वी के नजदीक आता जा रहा है। करीब 262.5 मीटर बड़े बेनू के भविष्य में पृथ्वी से टकराने का खतरा रहेगा।
मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य एस्टेरॉइड बेल्ट में करीब 40,000 एस्टेरोइड चक्कर लगाते हैं। कुछ समय पहले पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा बेनू लगातार पृथ्वी के नजदीक आता जा रहा है। करीब 262.5 मीटर बड़े बेनू के भविष्य में पृथ्वी से टकराने का खतरा रहेगा।
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‘बेनू पर सफेद चट्टानों के टुकड़े मिले हैं, लेकिन ये किसी अन्य पिंड के टकराने से आए हैं। बेनू के स्वयं की चट्टानों का बैंगन के भरते के समान हाल हो चुका है। वहां कोयले जैसी काली मिट्टी है। इसी से हम यह पता लगाएंगे कि चट्टानें कब मिट्टी अथवा महीन कणों में परिवर्तित होती है।
‘बेनू पर सफेद चट्टानों के टुकड़े मिले हैं, लेकिन ये किसी अन्य पिंड के टकराने से आए हैं। बेनू के स्वयं की चट्टानों का बैंगन के भरते के समान हाल हो चुका है। वहां कोयले जैसी काली मिट्टी है। इसी से हम यह पता लगाएंगे कि चट्टानें कब मिट्टी अथवा महीन कणों में परिवर्तित होती है।
– डॉ नरेंद्र भण्डारी, बेनू अंतरीक्ष मिशन से जुड़े जोधपुर के अंतरिक्ष विज्ञानी