मधुबन हाउसिंग बोर्ड में मंशापूर्ण माताजी का मंदिर 32 साल पुराना है। यहां पर पुजारी से लेकर सारी व्यवस्थाएं महिलाएं संभालती है। पुरूषों का यहां लेसमात्र भी काम नहीं है। इस मंदिर में सक्रिय सेविका कलावती तिवारी के प्रयासों से यहां 25 से अधिक महिलाएं मंदिर की व्यवस्थाओं में जुटी हुई है। यहां हर रोज सुबह शाम आरती होती है। यहां दिन में बड़ी संख्या में महिलाएं भजन कीर्तन करने के लिए मंदिर में एकत्रित होती हंै। एक समय एक पेड़ के नीचे सिर्फ एक मूर्ति रखकर यहां पूजा शुरू हुई थी। आज यहां क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हंै। इस मंदिर की ख्याति दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
32 वर्ष पुराना है मंदिर
मंदिर के बारे में स्थानीय निवासी व मंदिर समिति से जुड़े विजय मेवाड़ा ने बताया कि आज से लगभग 32 वर्ष पूर्व यहां एक चबूतरा था। जिस पर माता की फोटो रखी थी। आस-पास व अन्य जगहों से श्रद्धालु यहां आकर माता की आराधना किया करते थे। एक दिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी ने अतिक्रमण का हवाला देते हुए माता की फोटो को हटा दिया व चबूतरा तोड़ दिया। बाद में देवी का चमत्कार मानते हुए अधिकारी ने पुन: चबूतरा बनवाया। धीरे-धीरे यहां लोगों के सहयोग से छोटे मंदिर का निर्माण हुआ।
2007 में अचानक ध्वस्त
मंदिर समिति ने बताया कि वर्ष 2007 में पुजारी शाम के समय मंदिर में पूजा कर रहा था। उस दौरान मंदिर में लगभग 10-15 छोटे बच्चे भी मौजूद थे। कुछ देर बाद बच्चे व पुजारी मंदिर से जैसे ही बाहर गए। मंदिर ध्वस्त हो गया। मंदिर में लगी छीणें टूटकर बिखर गई।
महिलाओं ने ली हाथ में कमान
मंदिर ध्वस्त होने के बाद आस-पास की महिलाओं ने मंदिर बनाने की कमान हाथ मे लेते हुए मंदिर निर्माण करने का निश्चय किया। महिलाओं के इसी हौसले के परिणामस्वरुप 2010 में वृहद् आकार में मंदिर बनकर तैयार हुआ। मंदिर में वर्तमान में माता जगदम्बा के अलावा भगवान शिव-पार्वती परिवार की प्रतिमाएं भी विराजित है।
प्रतिदिन होते हैं भजन
मंदिर में दोपहर के समय में महिला मंडल की ओर से प्रतिदिन भजन कीर्तन किया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में आस-पास व अन्य जगहों से महिलाएं शामिल होती है।