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भारत का पहला पोस्टकार्ड हुआ था सन् 1879 में जारी, आज विश्व डाक दिवस पर पढ़े ये खास रिर्पोट..

locationजोधपुरPublished: Oct 09, 2017 06:30:20 pm

– विश्व डाक दिवस आज

world Post Day

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जोधपुर . देश में २५ पैसे का सिक्का यानी चवन्नी भले ही बंद हो गई हो, लेकिन २५ पैसे का पोस्टकार्ड (मेघदूत) अब भी लोगों के संदेश हजारों किलोमीटर दूर तक पहुंचा रहा है। शहर में प्रतिदिन तीन हजार पोस्टकार्ड या तो आते हैं या प्रेषित किए जाते हैं। बदलते वक्त के साथ पोस्टकार्ड की अहमियत भले कम हो गई, लेकिन आज भी शोक संदेश से लेकर बधाइयां भेजने का सबसे बड़ा माध्यम पोस्टकार्ड ही है। जोधपुर शहर में प्रतिदिन ३६ हजार डाक आती-जाती हैं। इनमें १७ हजार सामान्य लिफाफे, ७ हजार अंतरदेशीय पत्र, ३ हजार पोस्टकार्ड के अलावा २७०० स्पीडपोस्ट, २२०० रजिस्टर्ड पत्र और ५०० पार्सल शामिल हैं।
विक्टोरिया की तस्वीर थी

ऑस्ट्रिया में शुरू हुआ पोस्टकार्ड अब १४८ साल का हो गया है। भारत का पहला पोस्टकार्ड 1879 में जारी हुआ था। इसकी कीमत 3 पैसे रखी गई थी। पहला पोस्टकार्ड हल्के भूरे रंग में छपा था। इस पर ‘ईस्ट इण्डिया पोस्टकार्डÓ छपा हुआ था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था। ऊपर दाएं कोने में लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने सम्राज्ञी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। लंबे समय तक पोस्टकार्ड की कीमत २५ पैसे रखी गई। कुछ सालों पहले इसे ५० पैसे कर दिया गया, लेकिन लोगों के विरोध के बाद विज्ञापन वाला मेघदूत पोस्टकार्ड २५ पैसे में फिर से जारी किया गया।
विश्व डाक दिवस आज

नौ अक्टूबर, 1874 को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना स्विटजरलैंड के बर्न शहर में हुई थी। भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में सम्पन्न यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन, कांग्रेस में इस स्थापना दिवस को विश्व डाक दिवस के रूप में घोषित किया गया।
डाकिए के थैले में अब बड़े आर्टिकल

पहले डाकिए के थैले में व्यक्तिगत चिठिठ्यां हुआ करती थी। बदलते वक्त के साथ कॉमर्शियल आर्टिकल अधिक हो गए हैं। इसमें पार्सल, रजिस्टर्ड डाक, स्पीडपोस्ट, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली-टेलीफोन के बिल, एलआईसी सहित अन्य कम्पनियों के प्रीमियम लैटर शामिल है। डाक विभाग की अहमियत बरकरार है।
कृष्णकुमार यादव, निदेशक (डाक सेवाएं), पश्चिमी क्षेत्र डाक परिण्मडल, जोधपुर

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