जिंदगी एक रंगमंच है और हम सब उसकी कठपुतलियां। ऊपर वाला कब किसकी डोर खींच ले कुछ पता नहीं। शेक्सपियर का यह भाव कथन फिल्म आनंद में राजेश खन्ना पर फिल्माया गया था। यह डायलॉग रंगकर्म के लिए प्रेरक और आदर्श वाक्य बन गया है। विश्व रंगमंच दिवस 27 मार्च के दिन यह और भी प्रासंगिक हो उठता है। क्यों कि रील लाइफ में टेक वन और टेक टू होता है। असल जिंदगी और रंगमंच पर टेक टू नहीं होता है।
जोधपुर रंगमंच का गढ़ ज़ोधपुर शुरू से ही रंगमंच का गढ़ रहा है। इस शहर ने फिल्मी दुनिया और रंगमंच को महिपाल, सज्जन और ओमशिवपुरी जैसे फनकार दिए हैं। जहां एक ओर महिपाल ने फिल्मों में श्रीराम के पात्र को जीवंत किया। वहीं सज्जन ने नाट्य शास्त्र के नौ रस अपनी अदाकारी से खूबसूरती के साथ साकार किए। उनकी इस कला के तो बड़े-बड़े फनकार कायल रहे। वहीं अदाकार ओमशिवपुरी ने तो रंगकर्म के साथ-साथ कई हिट फिल्मों का इतिहास बनाया।
किसे याद नहीं है महिपाल जहां जोधपुर के सरदारपुरा रहते थे। वहीं सज्जन कबूतरों का चौक और ओमशिवपुरी बाईजी का तालाब इलाके में रहते थे। महिपाल की नजराना और जय संतोषी मां में निभाया गया किरदार , सज्जन का विक्रम और वेताल सीरियल में अदा किया वेताल का पात्र किसे याद नहीं है।
…तू बोला मैं चला.. हा हा हा.. टीवी सीरियल विक्रम और वेताल में विक्रम यानी अरुण गोविल के कंधे पर बैठा वेताल जब यह डायलॉग बोलता था तो बच्चे खूब खुश होते थे।
…तू बोला मैं चला.. हा हा हा.. टीवी सीरियल विक्रम और वेताल में विक्रम यानी अरुण गोविल के कंधे पर बैठा वेताल जब यह डायलॉग बोलता था तो बच्चे खूब खुश होते थे।
ओम शिवपुरी का किरदार और याद इसके अलावा ओम शिवपुरी का अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म डॉन में निभाया गया किरदार लोगों को आज भी याद आता है। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की ओर से हर साल ओम शिवपुरी स्मृति नाट्य समारोह का आयोजन किया जाता रहा है। उनके कारण जोधपुर के कलाकारों ने सुधा शिवपुरी और हिमानी शिवपुरी को भी अपने कलाकार परिवार का सदस्य माना है।
अपना आदर्श मानते हैं
जोधपुर के रंगकर्मी फनकारों महिपाल, सज्जन और ओमशिवपुरी को अपना आदर्श मानते हैं। उन्हें इस बात पर गर्व भी है। यही वजह है कि अदाकारी की दुनिया से जुड़े जोधपुर शहर में उनके बाद भी अदाकारी का सिलिसिला कायम है। जोधपुर में अब्राहम जॉन, मदनमोहन माथुर, राजेश नाहटा और विकास कपूर ने अंग्रेजी, एजी खान, श्याम पंवार, विष्णुदत्त जोशी और एम एस जई ने उर्दू और अरविंद भट्ट, कुमार राजीव, रमेश बोराणा, अनुराधा आडवाणी, एसपी रंगा, शिल्पा मृदुल, प्रमोद वैष्णव व मदन बोराणा आदि ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया है। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है।
जोधपुर के रंगकर्मी फनकारों महिपाल, सज्जन और ओमशिवपुरी को अपना आदर्श मानते हैं। उन्हें इस बात पर गर्व भी है। यही वजह है कि अदाकारी की दुनिया से जुड़े जोधपुर शहर में उनके बाद भी अदाकारी का सिलिसिला कायम है। जोधपुर में अब्राहम जॉन, मदनमोहन माथुर, राजेश नाहटा और विकास कपूर ने अंग्रेजी, एजी खान, श्याम पंवार, विष्णुदत्त जोशी और एम एस जई ने उर्दू और अरविंद भट्ट, कुमार राजीव, रमेश बोराणा, अनुराधा आडवाणी, एसपी रंगा, शिल्पा मृदुल, प्रमोद वैष्णव व मदन बोराणा आदि ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया है। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है।
रंगकर्म क्या है?
रंगकर्म क्या है, रंगकर्म और फि ल्म व टीवी की अदाकारी में क्या फर्क है। डायलॉग डिलीवरी का सही तरीका क्या है, यह देखने के लिए देखें वरिष्ठ रंगकर्मी अरविंद भट्ट का यह वीडियो :
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…………………. एम आई जाहिर