इसलिए आते हैं प्रवासी पक्षी- यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों के मूल इलाकों में विपरीत मौसम में भोजन नहीं मिलने सहित कई कठिन परिस्थितियों के चलते पक्षी प्रवास पर निकल जाते हैं तथा परिस्थितियां सामान्य होने पर लौट आते हैं। यहां आने वाले पक्षियों को भोजन व पेयजल की उपलब्धता रहती है। साथ ही सुरक्षित महसूस करने के कारण यहां नए पक्षियों के पंहुचने की संख्या भी बढने लगी है। खूबसूरत पक्षियों की अठखेलियां- खीचन के तालाबों पर कुरजां के साथ कई जलीय प्रवासी पक्षी भी अठखेलियां करते नजर आते हैं। यहां कुरजां व अन्य कई जातियों के पक्षियों का एक साथ अठखेलियां करते हुए दिखाई देना पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इन दिनों खीचन में करीब 10 हजार कुरजां पक्षी शीतकालीन प्रवास पर पंहुच चुके हैं।
जिन्हें निहारने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। (निसं) ये पक्षी मिलते हैं यहां- पक्षी विशेषज्ञ डॉ. प्रतापङ्क्षसह ने फलोदी दौरे के दौरान खीचन व फलोदी क्षेत्र के तालाबों पर आने वाले अलग-अलग जातियों के पक्षियों को चिन्हित किया। उनका कहना है कि यहां कुरजां के अलावा कई प्रवासी पक्षी भी प्रवास पर आते हैं। जिससे यहां बर्ड टूरिज्म विकसित होने संभावना है। क दुर्लभ पक्षी – लौन्ग लैण्ड बजर्ड, डेमोसाइल क्रैन, कॉमन क्रैन, बार हीडेड गीज, ब्लैक स्र्टाक, कॉमन वुड शराइक, इम्पीरीयल ईगल, वेरिएबल व्हीटईयर, डेजर्ट व्हीटईयर, इसेबिनिन, साउथर्न ग्रे शराइक, चेस्टनट बैलीड सेन्ड ग्राऊस, पेडी फील्ड पिपिट, बाइमैकुलेटेड लार्क, रूफस फ्रन्टड परीनीया। क जलीय पक्षी – नार्थन शॉक्लर, डुबचिक, कॉम टील, कॉमन कूट, मूरहेन, रेड वैटल्ड लैपविंग, ब्लैक विंग स्टीलट, लिटल इगरेट, पोन्ड हीरोन, लिटल कार्मारेन्ट, ग्रेट कार्मारेन्ट, व्हाईट वेगटल, ब्लैक आडोबिस, लिटल रिंगड प्लीवर, कॉमन सेंन्डपाईपर, वुड सेन्डपाइपर। क सामान्य- ब्राऊन रॉक चैट, घरेलू गौरेय्या, घरेलू कौआ, लाफिग डव, इंडियन रिंग डव, ब्ल्यू रॉक पिजन, इण्डियन रॉबिन, रेड वेन्टिड बुलबुल, येलो वेन्टिड बुलबुल, इण्डियन पी फाऊल, ग्रे फे्रन्कोलिन, कॉकन बैबलर, रोजुरिंगड पेराक्टे, इण्डियन सिल्वर बिल। कुरजां के साथ दिखा यूरेशियन क्रैन- पक्षीप्रेमी सेवाराम माली ने बताया कि सोमवार सुबह पक्षी चुग्गाघर कुरजां से बड़े आकार भूरे रंग का पक्षी नजर आया था। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. पी कुमार ने बताया कि संभवतया यह पक्षी यूरेशियन कै्रन (कॉमन क्रैन) हैं। जो कुरजां के मूल स्थानों से ही आते हैं। यह पक्षी संभवतया बीच राह में या शुरूआत से ही कुरजां के साथ उडकऱ यहां आ पंहुचा है।