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एक्स-रे रिपोर्ट मोबाइल पर आती है, हाइटेक होना नहीं ब​ल्कि यह है अस्पताल की मजबूरी

चौपासनी सेटेलाइट अस्पताल के हालात  

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जोधपुर।
जोधपुर शहर व आस-पास के क्षेत्रों का मरीजों का दबाव कम करने के लिए सेटेलाइट अस्पताल सिस्टम की पत्रिका लगातार पड़ताल कर रहा है। इसी कड़ी में पत्रिका की टीम िस्थतियां जांचने चौपासनी सेटेलाइट अस्पताल पहुंची। एक बड़ी आबादी के बीच यह सेटेलाइट अस्पताल मरीजों के बोझ के मारे दबा हुआ है। 800 से ज्यादा का ओपीडी है और डॉक्टर्स स्वीकृत हैं सिर्फ 11। इनमें से चार तो लगाए ही नहीं गए। खास बात यह है कि आंखें जांचने और सर्जरी करने वाले डॉक्टर ही नहीं है। ऐसे में मरीजों को एमडीएम का रुख करना पड़ता है।
सेटेलाइट अस्पताल में भी दूसरे अस्पतालों की तरह की कतारों का दर्द साफ झलक रहा था। सुबह के 11 बजे के करीब पहले पर्ची लेने के काउंटर पर कतार और फिर डॉक्टर चेम्बर के बाहर। डॉक्टर अपने कक्ष में नहीं। पहले से ही कमी से जूझ रहे इस अस्पताल की व्यवस्थाएं नाजुक दौर में। मरीजों ने बताया कि कई डॉक्टर्स तो लगाए ही नहीं गए हैं, जो डॉक्टर है उनमें से भी कई अवकाश पर चले जाते तो बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है। इसके अलावा कई सुविधाएं भी पिछले लम्बे समय से बंद है।


इन सुविधाओं पर मुसीबत

- भवन वही पुराना है, बाकी सभी सेटेलाइट व जिला अस्पताल को नए भवन मिले, लेकिन इस अस्पताल को नहीं मिला।
- सोनोग्राफी मशीन खराब है, इसको ठीक करवाने का खर्च ज्यादा है, जिसका बजट मेडिकल कॉलेज से पास नहीं हो रहा।

- एक्स-रे फिल्म का ठेका नहीं हुआ। ऐसे में एक्स-रे करने के बाद मरीज को वाटसएप किया जा रहा है।


एनेिस्थसिया डॉक्टर रोज मिले तो काम चले

अस्प्ताल प्रभारी नर्सिंग माथुर ने बताया कि हालही में साधारण प्रसव के साथ सिजेरियन प्रसव भी शुरू किया गया है। लेकिन अभी सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही एनेिस्थसिया के डॉक्टर आ रहे हैं। इसी कारण दो दिन ही ऑपरेशन हो पा रहे हैं। ऑपरेशन थियेटर बना हुआ है, लेकिन सर्जन के नहीं होने से उसका भी पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा।