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अब तक लक्ष्य का 47 फीसदी धान की खरीदी, परिवहन मात्र 32 प्रतिशत

locationकांकेरPublished: Jan 09, 2020 04:21:10 pm

Submitted by:

Bhawna Chaudhary

धान खरीदी का लक्ष्य 38 दिनों में 47 प्रतिशत पहुंच गया है। परिवहन मंद गति से होने के कारण अभी तक खरीदी का मात्र 32 प्रतिशत उठाव हो पाया है।

अब तक लक्ष्य का 47 फीसदी धान की खरीदी, परिवहन मात्र 32 प्रतिशत

अब तक लक्ष्य का 47 फीसदी धान की खरीदी, परिवहन मात्र 32 प्रतिशत

कांकेर. धान खरीदी का लक्ष्य 38 दिनों में 47 प्रतिशत पहुंच गया है। परिवहन मंद गति से होने के कारण अभी तक खरीदी का मात्र 32 प्रतिशत उठाव हो पाया है। शेष 68 प्रतिशन धान खरीदी केंद्रों के 113 फड़ों पर जाम पड़े हैं।

धान परिवहन में तेजी लाने के बजाय जिले का अमला धान की अवैध विक्रय पर लगाम लगाने के लिए अपनी ताकत लगा दिया है। जिले में धान की अवैध खरीदी पर रोक और उधर व्यापारियों पर हो रही कार्रवाई से धान कारोबारियों में भी आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। मंडी शुल्क अदा नहीं करने के आरोप में जिले में पांच हजार क्विंटल से अधिक धान अभी तक जब्तीनामा बनाया गया है। जबकि एक भी प्रकरण का निराकरण नहीं हो पाया है।

इस साल धान खरीदी का लक्ष्य प्रशासन की ओर से 26 लाख क्विंटल रखा गया है। एक दिसंबर से धान की खरीदी की जा रही है। 113 धान खरीदी उपार्जन केंद्रों पर धान का क्रय किया जा रहा है। धान खरीदी कर रही सोसाइटियों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 12 लाख 37 हजार 52 क्विंटल धान की खरीदी 7 जनवरी तक किया गया है, जो लक्ष्य का औसतन 45 प्रतिशत है।

अभी तक सिर्फ राइस मिलरों की ओर से धान का परिवहन किया जा रहा है। धान का परिवहन करने वालों ट्रकों में जीपीएस लगाया गया है। ताकि अगर रूट से परिवहन करते हुए ट्रक हटे तो कार्रवाई किया जाए। जीपीएस लगाए जाने के कारण देरी होने के चलते धान का परिवहन मंद गति से चल रहा है। धान परिवहन के बारे में मिली जानकारी के अनुसार अभी तक 3 लाख 97 हजार क्विंटल धान का उठाव हो पाया है। मंद गति से धान उठाव होने के कारण फड़ों पर जाम की स्थिति बनती जा रही है।

धान का तेजी से उठाव नहीं होने के कारण जिले के 113 धान खरीदी उपार्जन केंद्रों में अभी तक 8 लाख 40 हजार 50 क्विंटल उठाव नहीं हो पाया है। यानी कुल खरीदी का औसतन 68 प्रतिशन करा उठाव शेष है। उधर, प्रशासन की ओर से धान की अवैध खरीदी और विक्रय पर रोक लगाने के लिए जांच पड़ताल की जा रही है। व्यापारियों की धर पकड़ से आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।

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