किसानों से धान खरीदी करने वाले व्यापारियों पर चाबुक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से 16 नवंबर से धर पकड़ की कार्रवाई जिले में की जा रही है। धान खरीदी के बाद मंडी शुल्क नहीं जमा करने के आरोप में व्यापारियों का धान जब्त किया गया है। हर ब्लॉक में खाद्य विभाग के साथ राजस्व अमला को किसानों से धान खरीदी करने वाले व्यापारियों पर नजर बनाए रखने के लिए टीम का गठन किया गया था। तीन माह में जिलेभर में 270 प्रकरणों में 22147 क्विंटल धान जब्त किया गया है।
मंडी शुल्क जमा करने के बाद भी सिर्फ दो प्रकरण का अभी तक निराकण किया गया है। 268 प्रकरण अब भी विभिन्न कृषि उपज मंडियों में लटके पड़े हैं। प्रशासन की ओर से पहले धान खरीदी की तारीख 15 फरवरी खत्म होने के बाद मंडी शुल्क जमाकर प्रकरण निराकरण का भरोसा व्यापारियों को दिया था। अब 20 फरवरी के बाद इन प्रकरणों का निराकरण होगा। अगर धान खरीदी की समय सीमा बढ़ी तो तारीख खत्म होने के बाद ही इन धानों को छोड़ा जाएगा।
वैसे बरामद धान का मूल्य 4 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है। सभी प्रकरणों को कृषि उपज मंडी शुल्क जमा नहीं करने और अवैध ढंग से परिवहन एवं खरीदी करने के आरोप में जब्त किया गया है। पत्रिका के पड़ताल में जानकारी मिली कि अब कृषि उपज मंडी इन धानों पर पांच गुना से अधिक की दर से राशि की वसूली करेगी। कुछ मामलों में पांच सौ से पांच हजार तक फाइन लगाए जाने का प्रावधान है। ऐसे में व्यापारियों को नुकसान होना तय माना जा रहा है।
22 हजार क्विंवटल जब्त धान पर पांच गुना की दर से मंडी शुल्क की वसूली किया गया तो 40 लाख से अधिक की राशि विभाग को प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा अवैध ढंग से धान की खरीदी और परिवहन पर पांच सौ से पांच हजार रुपए तक जुर्माना की राशि भी वसूली किया जाएगा। ऐसे में कृषि उपज मंडी को चालीस लाख से अधिक का मुनाफा होगा। विभाग की ओर से अब 20 फरवरी के बाद धान के जब्त प्रकरणों का निराकरण होगा।