इंडोर स्टेडियम निर्माण के लिए जिला निर्माण समिति की निविदा में झोल उजागर हो रहा है। अफसरों ने प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ निर्माण एजेंसी से हड़बड़ी में इंडोर स्टेडियम निर्माण के लिए 23 मई 2018 को तकनीकी स्वीकृति ले ली और 28 मई 2018 को यानी मात्र पांच दिन के अंदर निविदा के लिए ऑफ लाइन अखबारों में प्रकाशन करा दिया गया। इस निविदा में भाग लेने के लिए सात ठेकेदारों ने आवेदन किया था। जिसमें से ६ लोगों ने १० प्रतिशत से अधिक में निर्माण कराने के लिए पत्र जमा किया, जबकि एक मात्र ठेकेदार ने 9.91 प्रतिशत अधिक में काम कराने के लिए पत्र जमा किया था। यानी एक ही ठेकेदार को यह ज्ञान था कि 9.99 प्रतिशत एबव पर निविदा को स्वीकृति मिलेेगी। यानी करोड़ों के काम कराने के लिए निविदा पत्र जमा करने वाले अन्य ६ ठेकेदारों ने पास इस तकनीकी का ज्ञान नहीं था।
एक माह के अंदर बारिश के मौसम में स्थल चयन होने से पहले ही 31 जुलाई को ठेकेदार को कार्य करने के लिए वर्क आर्डर भी जारी कर दिया। जबकि अभी तक स्थल का चयन ही नहीं हो पाया है। आखिर इतनी हड़बड़ी क्यों थी कि एक सडक़ बनाने वाली प्रधानमंत्री निर्माण एजेंसी से तकनीकी स्वीकृति लिया गया और स्थल चयन होने से पहले ही निविदा करा लिया गया और ठेकेदार को तत्काल आर्डर भी जारी कर दिया गया। कहीं न कहीं इंडोर स्टेडियम निर्माण के लिए चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए आनन-फानन में निविदा कराया गया है। जानकारों के अनुसार नगर में इसे छोड़ एक भी निर्माण कार्य एबव यानी निश्चित दर से अधिक में नहीं हो रहा है।
इंडोर स्टेडियम के लिए किया स्थल निरीक्षण
गुरुवार को सीएम के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी, विधायक शिशुपाल शोरी, कलक्टर रानू साहू, एसडीएम भारती चंद्राकर, आदिम कल्याण विभाग के अधिकारी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने मिनी स्टेडियम के पास इंडोर स्टेडियम निर्माण के लिए स्थल का निरीक्षण किया। इंडोर स्टेडियम को शहर में बनाने के लिए मौखिक सहमति बनी। यानी गुरुवार को अफसरों के साथ स्थल के निरीक्षण यह स्पष्ट हो गया कि जिला निर्माण समिति ने निविदा हड़बड़ी कराई है। वहीं इंडोर स्टेडिय निर्माण के लिए जिला निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे आदिम कल्याण विभाग के अधिकारी केपी ध्रुव ने स्थल चयन और निविदा पर बोलने से मना कर दिया।