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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की तीनों सीट पर भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी हार

locationकांकेरPublished: Dec 13, 2018 06:13:17 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

छत्तीसगढ़ 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है।

BJP Congress

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की तीनों सीट पर भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी हार

कांकेर. छत्तीसगढ़ 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है। कांग्रेस के अपेक्षा भाजपा को काफी कम वोट मिले हैं। मतदाताओं की टोह लिया तो बोल पड़े- 2013 के चुनाव में जनता से किए वादा को रमन सरकार ने पूरा कर दिया होता तो यह दिन नहीं आता। तब रमन सरकार ने वादा किया था 21 सौ रुपए धान का समर्थन मूल्य देंगे और तीन सौ रुपए बोनस भी, दोनों में से एक भी पूरा नहीं किया। लोकतंत्र के लिए जनता ने फैसला सुना दिया है, जो वादा नहीं पूरा करेगा सत्ता में नहीं रहेगा।

वैसे कांग्रेस को तीनों सीटों पर एक लाख 98 हजार 634 वोट मिले तो भाजपा को मात्र एक लाख 38 हजार 728 मत प्राप्त हुए हैं। विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस ने जिले की कांकेर और भानुप्रतापपुर सीट पर कब्जा करते हुए जिले में एक लाख 63 हजार 729 वोट प्राप्त किया था तो भाजपा को तीनों सीट पर कुल एक लाख 49 हजार 379 मतों पर ही संतोष करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव 2008 में भाजपा ने जिले की तीनों विधानसभा सीट पर परचम लहराते हुए कुल एक लाख 25 हजार 179 वोट प्राप्त किया था।

कांग्रेस को तीनों सीट पर मात्र 90 हजार 777 मत प्राप्त हुए थे। इस बार की कांग्रेस की बड़ी जीत है। वोट प्रतिशत भी काफी बढ़ा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में 15 हजार से अधिक लोगों ने नोटा की बटन दबाकर यह बता दिया था कि चुनावी मैदान में एक भी उम्मीदवार पसंद के नहीं हैं। इस बार के चुनाव में भी 11 हजार 869 लोगों ने नोटा की बटन दबाया है। निर्दलीयों से अधिक वोट कुछ बूथों पर नोटा में पड़ा है।

भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर भी कुछ उलट फेर होता रहा है। 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने गंगा पोटाई को मैदान में उतारा तो मनोज मंडावी का बागी बनना कांग्रेस पर भारी पड़ गया। भाजपा के ब्रम्हानंद नेताम ने 16 हजार 955 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार गंगा पोटाई को हरा दिया। विधानसभा चुनाव 2013 में कांग्रेस ने मनोज मंडावी को टिकट दिया तो भाजपा से सतीश लाटिया को मैदान में उतार दिया।

हल्बा और गोंड जाति के फैक्टर में कांगेस को फायदा मिल गया। मनोज मंडावी ने 14 हजार 816 मतों से सतीश को हराकर इस सीट पर कब्जा कर लिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांगे्रस ने पुन: मनोज को मैदान मेंं उतारा तो भाजपा ने देवलाल दुग्गा पर भरोसा कर लिया। इस बार मनोज मंडावी ने देवलाल दुग्गा को 26 हजार 693 के रिकार्ड मतों से हरा दिया। कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत है।

कांकेर विधानसभा सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा थी। इस बार के चुनाव में हार जीत का ग्राफ बड़ा होने से भाजपा को झटका लगा है। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर पताखा फहराया था। 2008 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. प्रीति नेताम को भाजपा से सुमित्रा मारकोले ने 17 हजार 447 मतों के भारी अंतर से हरा दिया था।

2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शंकर ध्रुवा को चुनावी मैदान में उतारा तो भाजपा ने संजय कोडोपी पर दाव खेल दिया। हालांकि इस चुनाव में शंकर ध्रुवा ने 4625 मतों से संजय को हरा दिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भी सभी रिकार्ड टूट गया। बदलाव की बयार में कांगे्रस के शिशुपाल शोरी ने 19 हजार 804 मतों से भाजपा के युवा प्रत्याशी हीरा मरकाम को हरा दिया है। जिले की तीनों सीट पर कांग्रेस ने पहली बार परचम लहराया है।

अंतागढ़ विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार से भाजपा के टिकट पर विक्रम उसेंडी जीत दर्ज कर रहे थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मंतूराम पवार को विक्रम उसेंडी ने मात्र 47 मतों से हरा दिया। 2013 के चुनाव में भी कांग्रेस के मंतूराम पवार को विक्रम उसेंडी ने 5171 मतों से परास्त कर पुन: सीट पर कब्जा कर लिया।

इस जीत के बाद विक्रम को रमन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में बदलाव की लहर ऐसी चली की कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे अनुप नाग नेे 13 हजार 414 भारी मतों से विक्रम को हरा दिया। कांग्रेस की अब तक इस सीट पर सबसे बड़ी जीत तो भाजपा की सबसे बड़ी हार है।

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