कांकेर

लीगल कालोनियों में ब्लैकमनी हो रही है सफेद, शासन को करोड़ों का झटका

नगर में और आसपास की लीगल कालोनियों में खुलेआम ब्लैकमनी सफेद हो रही है। इस तरह की लीगल कालोनियों के अवैध कारोबार में अनपढ़ नहीं कानून के विद्वान भी फंस रहे हैं।

कांकेरOct 16, 2021 / 11:19 pm

Ashish Gupta

लीगल कालोनियों में ब्लैकमनी हो रही है सफेद, शासन को करोड़ों का झटका

कांकेर/तेज प्रताप. नगर में और आसपास की लीगल कालोनियों में खुलेआम ब्लैकमनी (Black Money) सफेद हो रही है। इस तरह की लीगल कालोनियों के अवैध कारोबार में अनपढ़ नहीं कानून के विद्वान भी फंस रहे हैं। इस कारोबार से शासन को स्टाम्प ड्यूटी से लेकर अन्य कर की करोड़ों चपत लग रही है। शासन को जहां स्टाम्प ड्यूटी में करोड़ों झटका लग रहा वहीं ब्लैकमनी-ब्लैक हाथों से होते हुए कारोबारी सफेद कर रहे हैं।
नगर या आसपास अगर लीगल कॉलोनियों में प्लाट क्रय करने के लिए चाह रहे हैं तो सावधान हो जाएं। जिस प्लाट को कालोनाइजर 18-20 लाख रुपए मूल्य बता रहा है, उसका वास्तव में मूल्य 8-10 लाख रुपए है। अगर रजिस्ट्री दर से अधिक पैसा दे रहे हैं तो वह ब्लैकमनी है। रजिस्ट्री दर से अधिक पैसा देना अपराध की श्रेणी में आता है। कानून के जानकार भी इन लीगल कालोनियों में फंस रहे हैं। नगर और आसपास आधा दर्जन से अधिक कॉलोनियों में प्लाट-भवन का क्रय विक्रय हो रहा है।
पड़ताल में खुलासा हो रहा कि रजिस्ट्री सरकारी दर पर हो रही है, लेकिन लेनदेन दो गुना से अधिक में हो रहा है। इस तरह का खेल तेजी से बढ़ रहा है। वैसे लीगल कालोनियों में निर्धारित दर से अधिक में खरीदी विक्रय कानून अपराध की श्रेणी में है। क्रेता और विक्रेता दोनों पर गाज गिर सकती है। लीगल कालोनियों में प्लाट क्रय करने वालों ने बताया कि अखबारों में विज्ञापन भी आता है। कालोनी में प्लाट का क्षेत्रफल भी लिखा रहता है, लेकिन दर नहीं होती है।
लिखा पढ़ी में सिर्फ सरकारी मूल्य का उल्लेख किया जाता है, लेकिन ब्लैकमनी ले रहे हैं। इस तरह का कारोबार कांकेर में धड़ल्ले से चल रहा है। इन कालोनियों में कानून के जानकार, राजस्व और अन्य विभाग के आलाधिकारी प्लाट क्रय कर फंस रहे हैं। अपनी-अपनी ब्लैकमनी को हर कोई सफेद करने में लगे हैं।
कालोनाइजर स्टॉम्प ड्यूटी का खौफ दिखाकर कालोनियों में करोड़ों का अवैध कारोबार कर रहे हैं। नगर और आसपास में करीब दो सौ करोड़ की ब्लैकमनी सफेद हो चुकी है। इस खेल में सरकारी तंत्र भी फंसा है। नहीं चाहकर भी इस कारोबार में लोग करोड़ों लगा रहे हैं। निर्धारित मूल्य से दो गुना से अधिक दर में लीगल कालोनियों में जमीन क्रय विक्रय का खेल जारी है। इस खेल में गरीब नहीं अमीर वर्ग के लोग फंस रहे हैं।

रजिस्ट्री में छूट का झांसा देकर डाल रहे डाका
अगर किसी कालोनी में प्लाट खरीदी के लिए जा रहे हैं तो कालोनाइजर सबसे पहले बोलेगा, बैंक में मेरी पहचान है। और रजिस्ट्री में कम से कम 50 हजार की छूट दिला दूंगा। इस छूट का लाभ पाने के लिए कम से कम 50 प्रतिशत नकद राशि देनी होगी। शेष राशि चेक के माध्यम जमा करना होगा। चेक की 50 प्रतिशत राशि को शो करेंगे और रजिस्ट्री में छूट मिल जाएगी। एक हजार वर्ग फीट के प्लाट पर कम से कम 50 की छूट मिल जाएगी।

इस खेल को क्रेता नहीं समझ पाता है। 50 हजार रजिस्ट्री छूट के लालच में 10 लाख के प्लाट को 20 लाख रुपए में क्रय कर रहे हैं। वास्तव में उक्त प्लाट का मूल्य 10 लाख रुपए है। शेष 10 लाख रुपए ब्लैकमनी है। कालोनाइजर अगर 20 लाख रुपए प्लाट का मूल्य अपने दस्तावेज में दिखाएगा तो उसे रेरा में हिसाब देना पड़ेगा। इस तरह के खेल में नगर और आसपास की लीगल कालोनियों में करोड़ों की ब्लैक मनी सफेद करने का अवैध कारोबार तेजी से चल रहा है।

प्लाट क्रय करने वाले के साथ छल, हर कालोनी में शासन को करोड़ों की चपत
लीगल कालोनियों में प्लाट और भवन क्रय करने वालों के साथ खुलेआम छल हो रहा है। वास्तविक मूल्य से 50-60 प्रतिशत अधिक लिया जा रहा है। इस तरह के खेल में हर कोलानी से शासन को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। ब्लैकमनी के खेल में उदाहरण के तौर पर 1 हजार वर्ग फीट के प्लाट का मूल्य कालोनियों में 18 लाख से 20 लाख तक पहुंच रहा है।

इस खेल में ब्लैकमनी के कारोबार को पकड़ने के लिए नगद और रजिस्ट्री का शुल्क से पकड़ा जा सकता है। ब्लैकमनी वसूली के खेल को क्रेता आसानी से उजागर करसकते हैं। सही ढंग से जांच भी किया जाए तो पूरा खेल उजागर हो जाएगा। वैसे इस कारोबार में बड़े-बड़े लोग लगे हैं। शासन को जहां करोड़ों का नुकसान हो रहा वहीं क्रेता के पॉकेट पर कैंची चल रही है।
कांकेर उप पंजीयक विनोद कुमार भतरिया ने कहा, देखिए, हमारे पर सरकारी दर पर क्रेता-विक्रेता तो दस्तावेज लीगल प्रस्तुत करते हैं, उसी पर रजिस्ट्री शुल्क लगता है। अगर किसी कालोनी में निर्धारित दर से अधिक राशि ली जा रही तो क्रेता को शिकायत करनी होगी। संबंधित विभाग जांच करेगा। अगर गड़बड़ी मिली तो उसी आधार पर सभी रजिस्ट्री पर शुल्क की वसूली हो सकती है।
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