मांड़ पखांजूर के दुर्गापूर बूथ के पीठासीन अधिकारी प्रविरचंद केमरो ने बताया कि उसे 9 नवंबर को शाम 6 बजे फोन पर चुनाव कराने की सूचना मिली। शाम 7 बजे आदेश मिला। रात 9 बजे नहरदेव बुलाया गया। रात 12 बजे पखांजूर जाने बोला गया। तीन बजे पखांजूर पहुंच गया। 10 नवंबर को सुबह 6 बजे मतदान वितरण सामग्री केंद्र पहुंचा तो ताला लगा था। 7 बजे पहला नाम मेरा पुकारा गया। चुनाव अधिकारी एक दुर्गा प्रसाद साहू, बूथ अधिकारी दो मिलन कुमार देहारी, अधिकारी तीन विजय मरकाम और गार्ड हर्ष देहरी के साथ चुनावी सामग्री लेते ही एसडीएम ने हरी झंडी दिखाकर बांदे थाने के लिए रवाना कर दिया गया।
दोपहर 12 बजे दल बांदे पहुंचा तो चार घंटे बाद बताया गया कि उन्हें कोंडे बीएसफ कैम्प जाना है। शाम 6 बजे चुनाव दल कोंडे कैम्प पहुंचा तो रात में रोक लिया गया। रात तीन बजे से सुबह 8 बजे तक लाइन में खड़ा कर दिया। 11 नवंबर को सुबह 8 बजे बीएसफ कैम्प में मतदान दल को बताया गया कि मांड पखांजूर मतदान केंद्र को दुर्गापुर में शिफ्ट कर दिया गया है। जंगल की पगडंडी से सहारे मतदान दल दोपहर 2:30 बजे 20 किमी चलकर दुर्गापुर बूथ पहुंच गया। सुरक्षा बल के जवानों ने स्कूल का ताला तोड़कर मतदान दल को स्कूल की गंदगी साफ कराने लगा दिया। माओवादी खौफ में पूरी रात टककटी में मतदान दल गुजार दिया। 12 नवंबर को सुबह सात बजे मतदान की तैयारी के बाद भी करीब 11 बजे पहला वोट पड़ा। दोपहर दो बजे तक 375 वोट में से 302 लोगों ने मतदान किया जो 81 प्रतिशत है। मतदान दल तीन बजे क्लोज किया।