कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 9 नवंबर को अपने चुनावी घोषण पत्र में प्रदेशभर के किसानों का कर्ज माफ करने की घोषण कर दी है। कर्ज माफी की घोषण होते ही अधिकांश धान खरीदी केंद्रों पर धान विक्रय के लिए टोकन लेने के बाद भी किसान केंद्रों पर धान बेचने के लिए नहीं आ रहे हैं। कांग्रेस की इस घोषण से धान विक्रय पर बड़ा असर पड़ रहा है। खाद्य विभाग से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो एक नवंबर से अब तक सिर्फ 53 केंद्र पर 32 हजार 345 क्विंटल धान की खरीदी किया गया है। धान का मूल्य पांच करोड़ 71 लाख रुपए बताया जा रहा है। पत्रिका टीम ने धान खरीदी केंद्रों पर आवक कम होने के बारे में पड़ताल किया तो किसानों ने खुद स्वीकार किया कि कांग्रेस की सरकार बनी तो हमारा कर्ज माफ हो जाएगा।
अभी धान विक्रय कर देने से बैंक कर्ज को काट लेगा। ऐसे में 11 दिसंबर को मतगणना के बाद ही धान विक्रय किया जाएगा। अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो किसानों को राहत मिलेगी। एक साल पहले सूखा की मार झेल चुके किसानों को कर्ज माफी से लाभ मिलेगा। बेवरती निवासी किसान मनेसिंह कावड़े ने कहा कि कर्ज से किसान परेशान हैं। दो साल से लगातार सूखा पड़ रहा है। फसल चौपट होने के कारण किसानों की कमर टूट चुकी है। फसल बीमा और सूखा राहत के नाम पर किसानों के साथ भद्दा मजाक किया गया है। किसी किसान के खाता में तीन रुपए तो किसी को मुआवजा ५ रुपए दिया गया है। किसान बैंक ऋण चुकता नहीं कर पा रहे हैं। किसानों की कर्जमाफी की घोषण राहत देगी। अगर सत्ता बदली को किसानों को इसका लाभ मिलेगा। ऐसे में किसान अभी तक धान विक्रय करना उचित नहीं समझ रहे हैं।