शुक्रवार और शनिवार को संस्था के लोगों ने राहगीरों से एक-एक रुपए दूधनदी की सफाई अभियान के का चंदा मांगा तो २७ सौ रुपए जुट गया। रविवार को दूध नदी में जेसीबी मशीन से कटीली झांडियों और खर पतवार साफ करने के लिए अभियान शुरू होते ही बड़ी संख्या में लोगों ने सहयोग करने के हाथ बढ़ा लिया। देखते ही देखते २१ हजार से अधिक का चंदा एकत्र हो गया। नदी में सफाई अभियान में डाक्टर, शिक्षक, व्यापारी, अधिवक्ता और स्कूली छात्रों ने भी हाथ बढ़ा रहे हैं। बिना पालिका सहयोग के ही लोगों ने दूध नदी को साफ करने संकल्प लिया है।
समाज सेवी संस्था के लोगों ने कहा कि पालिका प्रशासन के पास संसाधन होने के बाद भी नदी को साफ करने पहल नहीं की जा रही है। राहगीरों से एक-एक रुपए चंदा जुटाकर दूध नदी में सफाई अभियान चल दिया है। चार साल में सफाई अभियान में किसी प्रकार का सहयोग नपा ने नहीं दिया। जबकि नगर के २१ वार्डोंंं का गंदा पानी इसी नदी में बहता है। बारिश के मौसम में बाढ़ के हालात पैदा होती है। नदी में जगह-जगह झाडिय़ा होने के कारण पानी के बहाव में अवरोध होता है। इन तमाम परेशानी को देखते हुए अभियान चल रहा है। नदी की साफ सफाई के लिए चार साल में एक वार्ड को छोडक़र पहल करने कोई नहीं आया है। इस अभियान में पप्पू अजय मोटवानी, मोहन सेनापति, जितेंद्र प्रताप देव, संजय मनसानी, करण नेताम, संतु रजक, जीवन पटेल, लेखराम पटेल, अभिषेक सोनी, विकास आदि लगे हैं।
पांच माह का मिला पार्षद भत्ता १० हजार रुपए नदी सफाई के लिए लगाया
राजापारा पार्षद एवं समाज सेवी अजय पप्पू मोटवानी ने बताया कि नदी में साफ-सफाई अभियान के लिए नगर पालिका और कलक्टर से निवेदन कर थक चुके हैं। सभी सदस्य सडक़ पर कटोरा लेकर चंदा जुटाने निकले हैं, जो भी चंदा का पैसा आएगा उस पैसे से दूध नदी में जेसीबी लगाकर सफाई कराया जाएगा। नदी में साफ सफाई करने की जिम्मेदारी पालिका प्रशासन की है। किसी प्रकार की पहल पालिका की ओर से नहीं की जा रही है। हमें पांच माह का पार्षद भत्ता १० हजार रुपए मिला था नदी में सफाई कार्य के लिए चंदा दे दिया। हर सप्ताह नदी में पसरी गंदगी को साफ करते आ रहा हूं। यह पालिका परिषद तो पूरी तरह से नकारा साबित हो रही है।