पड़ताल में जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री फसल बीमा में बीमाधन का दो प्रतिशत किसानों से वसूल किया जाता है। शेष 4-4 प्रतिशत केंद्र और राज्य सरकार जमा करती हैं। यानी बीमाधन का कुल किसानों के साथ 10 प्रतिशत फसल बीमा के लिए कम्पनियों को प्रीमियम के रूप में हर साल जमा होता है। कांकेर जिले में तीन साल के फसल बीमा का लेखा जोखा देखा जाए तो सहकारी बैंक के माध्यम से वर्ष 2019 में 45084 किसानों ने 83453 हेक्टेयर में खरीफ फसल के लिए बीमा कम्पनियों के खजाने में 6.20 करोड़ का दो प्रतिशत की दर से खुद प्रीमियम राशि जमा किया।
केंद्र और राज्य सरकार ने 4-4 प्रतिशत की दर से 24.80 करोड़ का प्रीमियम जमा किया। यानी वर्ष 2019 में फसल बीमा कम्पनी के खाता में 31.01 करोड़ की राशि बतौर प्रीमियम जमा किया गया। इस वर्ष फसल बीमा कम्पनियों ने किसानों की फसल के लिए 310 करोड़ की गारंटी दी थी। वहीं दूसरे वर्ष 2020 में फसल बीमा के लिए सहकारी बैंकों के माध्यम से सिंचित एवं असिंचित फसल के लिए 50491 किसानों ने 94356 हेक्टेयर में खरीफ की खेती करने के लिए बीमा कम्पनियों के खजाने में 7.21 करोड़ की राशि दो प्रतिशत की दर से प्रीमियम जाम किया।
केंद्र और राज्य सरकार ने 4-4 प्रतिशत की दर से 28.84 करोड़ का प्रीमियम जमा किया। इस साल किसानों के प्रीमियम राशि के साथ फसल बीमा के लिए कुल 36.05 करोड़ रुपए जमा किया गया। फसल बीमा कम्पनियों ने किसानों को 359 करोड़ की गारंटी दी थी। तीसरे वर्ष 2021 में 49517 किसानों ने 93114 हेक्टेयर में खरीब की खेती के लिए फसल बीमा कम्पनियों के खाता में 7.19 करोड़ की प्रीमियम की राशि दो प्रतिशत की दर से जमा कर दिया। केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी के साथ कुल 35.93 करोड़ रुपए फसल बीमा कम्पनियों के खाता में इस साल खरीफ खेती के लिए जमा किया गया है। यानी तीन वर्ष में वर्ष 2019 से अब तक फसल बीमा कम्पनियों के खाता में कुल 103 करोड़ की राशि बीमा की प्रीमियम राशि जमा किया गया है।
इन तीन साल में फसल बीमा कम्पनियों ने 103 करोड़ के प्रीमियम के एवज में किसानों को 1029 करोड़ की बीमाधन गारंटी दी थी। तीन साल में अभी तक किसानों को सिर्फ 90 करोड़ फसल नुकसान होने पर बीमाधन दिया जाना बताया जा रहा है। यानी मात्र तीन साल में ही फसल बीमा कम्पनियों को 13 करोड़ का मुनाफा है। एक हजार 29 करोड़ की गारंटी के एवज में 10 प्रतिशत बीमाधन की वसूली करने वाली बीम कम्पानियों ने सिर्फ 9 प्रतिशत के आधार पर राशि दिया है। यानी फसल बीमा कम्पनियां मालामाल होती जा रहीं और किसान दिनों दिन कंगाल होता जा रहा है।
किसानों का मोह खेती से भंग, घट रहा रकबा
जीरो प्रतिशत पर सहकारी बैंकों से कर्ज लेकर खरीफ की खेती करने वाले किसानों का मोह खेती किसानी से दिनों दिन भंग होते जा रहा है। खेती किसानी के लिए सोसाइटियों पर धान बीज की मारामारी और धान विक्रय से पहले स्थानीय प्रशासन की घेराबंदी से इस साल खेती का रकबा घट गया। करीब डेढ़ हजार से अधिक किसानों की संख्या में कमी आई है। करीब दो हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में खेती कम लगी है। तीन लाख प्रीमियम भी कम जमा हुआ है। पड़ताल में किसानों ने कहा-मौजूदा समय में धान की खेती करना जितना कठिन नहीं उससे अधिक संकट विक्रय करना है। अन्नदाताओं के एक-एक दाने पर पहरा पड़ता है। छापेमारी करने वालों के नजर में किसानों का सम्मान नहीं है। ऐसे में खेती सिर्फ अपने खाने के लिए कर रहे हैं। सभी दलों की सरकार एक ही जैसी है।
आधार कार्ड में फंसा 30 किसानों का 45 हजार रुपए प्रीमियम
फसल बीमा के लिए प्रीमियम राशि जमा करने वाले कई किसानों की प्रीमियम राशि आधार कार्ड के चक्कर में फंस गई है। धान खरीदी नोडल अधिकारी ने कहा कि कुछ किसानों के आधार कार्ड में त्रुटि होने के कारण फसल बीमा की राशि पोर्टल में अपलोड नहीं हो रही है। ऐसे में कुछ किसानों का फसल बीमा की राशि आनलाइन नहीं दिख रही है। कांकेर में पांच किसानोंं के आधार कार्ड में अंतर है। कोरर में 21 किसानों के आधार कार्ड में गड़बड़ी है। बांदे में 4 किसानों को आधार कार्ड लिंक नहीं हो रहा है। ऐसे में 45 हजार की राशि पोर्टल में एंट्री नहीं हो रही है। 24 अगस्त की तिथि में 30 किसानों का आनलाइन फसल बीमा राशि जमा नहीं हो पाई है। आधार कार्ड में किसान का नाम कुछ और तो खाता में कुछ और दर्ज है। ऐसे में इन किसानों की प्रीमियम राशि जमा नहीं हो रही है।