शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए गांव-गांव में प्रशासन की ओर से स्कूल तो खोल दिया गया है। मगर स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हो रही है। विषयवार शिक्षक नहीं होने के कारण समय पर कोर्स पूरा नहीं हो रहे हैं। शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था के चलते शिक्षकों की कमी के बीच सत्र पूरा करने का इस साल भी दंभभरा जा रहा है।
गांव-गांव प्राथमिक शाला तो खोले गए है लेकिन कक्षा एक से पांचवीं तक की पढ़ाई पूरी करने लिए भी शिक्षक नहीं हैं। जिले के अधिकांश स्कूलों का यही हाल है। शिक्षकों की भर्ती नहीं होने से पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। प्रतिवर्ष ग्रामीण शिक्षकों की मांग करते हुए जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं। जिले में शिक्षकों की भर्ती वर्षों से नहीं होने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है, यही कारण है कि पालक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने मजबूर हो रहे हैं।
जिले के सरकारी स्कूलों मेंं दर्ज संख्या के आंकड़ों पर नजर डालें तो 29,815 बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और जिले के स्कूलों में करीब 1255 शिक्षकों की आवश्यकता है, जिसकी भर्ती नहीं हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी विषयवार शिक्षकों की है जिसमें अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के शिक्षकों की भर्ती नहीं होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने स्वीकार किया कि जिले में शिक्षकों की कमी है। वैसे जिले में व्याख्याता शिक्षकों के 407 पद रिक्त हैं। जिसमें हिन्दी के 10, अंग्रेजी के 40, गणित के 68, विज्ञान के 62, संस्कृत के 34, भौतिक के 65, रसायन के 27, इतिहास के 3, राजनीति के 4, अर्थशास्त्र के 5, भूगोल के 6, कला के 7, वाणिज्य के 52, कृषि के 11, गृहविज्ञान के 5 और अन्य 8 पद खाली पड़े हुए हैं।
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