हजारों की संख्या में महिला, पुरुष और बच्चे नगर के मुख्य मार्ग को जामकर दिया। नगर में बढ़ती भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन से लाठीचार्ज कर दिया, जिससे महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल हो गए। कुछ लोगों को पुलिस प्रशासन द्वारा जबरन उठाने से स्थिति बेकाबू होते देख पूरा प्रशासनिक अमला दोपहर एक बजे भानुप्रतापपुर पहुंचकर एसडीओपी को हटाने, सीएमओ को सस्पेंड करने और नायब तहसीलदार को भानुप्रतापपुर से हटाया जाएगा जाने के आश्वासन के बाद लोग शांत हुए।
जानकारी के अनुसार भानुप्रतापुर नगर पंचायत में संतोषी माता का मंदिर 1980 में स्थापित किया गया है। हर शुक्रवार को बड़ी संख्या में महिला एवं पुलिस मंदिर में पूजा अर्चना करते हंै। सूत्रों की माने तो मंदिर प्रमुख से किसी बात को लेकर नगर पंचायत सीएमओ से कुछ दिन पहले विवाद हो गया था। मंदिर में लगी प्रतिमा को हटाने के लिए सीएमओ ने काफी दिनों पहले मंदिर प्रमुख को चेतावनी भी दी थी।
शुक्रवार को भोर में अचानक पुलिस की टीम पहुंची और मंदिर में स्थापित संतोषी माता की प्रतिमा को खोदकर थाने उठा लायी। सुबह होते ही इसकी जानकारी मंदिर के पुलिस ने भक्तों को दी। मंदिर से प्रतिमा हो हटाने की सूचना पर हजारों की भीड़ बाजार में हांगामा प्रारंभ कर दिया। संबलपुर मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया।
सुबह 8 बजे तक 5 हजार से अधिक लोग सड़क पर उतर आए। आस्था के प्रति लोगों में बढ़ता आक्रोश देख पुलिस प्रशासन से लाठीचार्ज कर दिया और सड़क पर बैठे लोगों को जबरन उठा लिया, इससे भीड़ बेकाबू हो गई। स्थिति बेकाबू होते देख प्रशासनिक अमला आनन-फानन में भानुप्रतापपुर पहुंच गया। मंदिर से प्रतिमा हटाने और मंदिर तोडऩे से आक्रोशित लोगों ने पुलिस पशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
आक्रोशित लोगों ने कहा कि सीएमओ द्वारा अधिकारियों को गुमराह कर व्यक्तिगत अदावत के चलते मंदिर को तोडऩा और मूर्ति ले जाने की घटना को अंजाम दिलवाया गया। आस्था और धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के चलते नगर के लोगों ने एकता का परिचय दिया। अंत में संतोषी माता की मूर्ति थाने से गाजाबाजा के साथ नगरवासियों ने मंदिर तक पहुंचाया। इस बीच नगर पंचायत कार्यालय में पार्षदों ने ताला जड़ दिया। बताया जा रहा कि नगर पंचायत सीएमओ और भानुप्रतापपुर एसडीओपी एक ही गांव के हैं।
बताया जा रहा कि पुलिस प्रशासन और राजस्व अमला भोर में जेसीबी से संतोषी माता की प्रतिमा को उठा रहा था, तो मंदिर के लोगों ने विरोध किया जिन्हे धक्का देकर जबरन प्रतिमा उठा लिया। प्रतिमा को जेसीबी में रखकर थाना लाया गया। डीआईजी रतनलाल डांगी मौके पर पहुंचकर जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद उन्होनें स्वीकार किया कि जो हुआ वह गलत है। जनप्रतिनिधियों से बिना चर्चा किए मंदिर तोडऩा और मूर्ति को उठाकर लाना गलत कदम है। डीआईजी द्वारा तत्काल प्रभाव से एसडीओपी को भानुप्रतापपुर से हटाने का आश्वासन दिया और कलक्टर प्रतिनिधि सीएमओ को सस्पेंड करने का भरोसा दिलाया।