scriptपरिवार से पक्की छत का वादा कर कच्चे मकान में ही छोड़ गए गलवान घाटी में शहीद हुए गणेश, अगले साल होनी थी शादी | Ganesh martyred in Galvan valley could not fulfill his promise | Patrika News

परिवार से पक्की छत का वादा कर कच्चे मकान में ही छोड़ गए गलवान घाटी में शहीद हुए गणेश, अगले साल होनी थी शादी

locationकांकेरPublished: Jun 18, 2020 05:57:03 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

शहीद गणेश के परिवार में माता-पिता व दो छोटी बहन है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। गणेश होली से पहले छुट्टियों में घर आया था। इस दौरान उसने घर बनाने की बात कही थी। कच्चे मकान में परिवार रहता था। दो कमरे बनाने के लिए दीवार खड़ी हो रही थी।

परिवार से पक्की छत का वादा कर कच्चे मकान में ही छोड़ गए गलवान घाटी में शहीद हुए गणेश, अगले साल होनी थी शादी

परिवार से पक्की छत का वादा कर कच्चे मकान में ही छोड़ गए गलवान घाटी में शहीद हुए गणेश, अगले साल होनी थी शादी

कांकेर. गलवान घाटी में चीन के साथ हुए संघर्ष में छत्तीसगढ़ का वीर सपूत कांकेर जिले के चारामा का गणेश राम कुंजाम (27) भी शहीद हो गया। गणेश चारामा अंचल के कुर्रुटोला पंचायत के आश्रित ग्राम गिघाली का रहने वाला था। गणेश बिहार रेजिमेंट 16 में लेह में तैनात था।गणेश को परिवार को शहादत की खबर मंगलवार को दोपहर करीब 12.30 बजे भारतीय सेना के अधिकारी ने फोन पर दी। इसके बाद परिवार समेत पूरे क्षेत्र में मातम पसर गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

शहीद गणेश के परिवार में माता-पिता व दो छोटी बहन है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। गणेश होली से पहले छुट्टियों में घर आया था। इस दौरान उसने घर बनाने की बात कही थी। कच्चे मकान में परिवार रहता था। दो कमरे बनाने के लिए दीवार खड़ी हो रही थी।

गणेश के पिता इतवारु राम कुंजाम ने बताया कि बेटेे ने पक्का मकान बनाने की बात कही थी। बोला था, अगली बार आऊंगा तो घर का काम शुरू करवाऊंगा। परिवार को छत का आसरा देकर हमेशा के लिए चला गया। वहीं मां जागेश्वरी कुंजाम के आंसू ही नहीं रुक रहे है। बार-बार कह रही थीं, महीनेभर से बात भी नहीं हुई थी। अब जीवन भर बेटे की आवाज नहीं सुन पाएगी।

अगले साल शादी की थी तैयारी

गणेश की शादी की बात पड़ोस के गांव में चल रही थी। परिवार अगले साल उसकी शादी की तैयारी कर रहा था। गणेश के पिता और चाचा चीन का नाम सुनते ही आक्रोश में आ गए। बेटे को खोना का दर्द तो है लेकिन शहादत पर गर्व भी है। परिजनों ने बताया कि गणेश ने कुरुटज़ेला में ही 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई की और इसी दौरान वर्ष 2011 में भारतीय सेना में चले गए। एक माह पहले ही उनकी तैनाती चीन सीमा पर हुई थी। नेटवर्क की समस्या के कारण नियमित तौर पर घर पर बात भी नहीं हो पाती थी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो