कृषि विभाग डीडीए रहते हुए चिरंजीव सरकार पर बिलासपुर और कांकेर में किसानों के नाम पर अनुदान राशि में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगा था। किसानों के नाम पर करोड़ों का घोटाला होने की खबर सबसे पहले पत्रिका ने प्रकाशित की थी। उक्त खबर को संज्ञान में लेते हुए शासन स्तर पर जांच में यह गड़बड़ी सामने मिली है।
जानकारी के अनुसार 2012-13 में चिरंजीव सरकार बिलासपुर में उप संचालक के पद पर तैनात थे। दो साल तक वहां सेवा देने के बाद कांकेर में 2014-15 में उप संचालक के पद पर आए गए। पत्रिका ने 2016 में सिंचाई पम्प अनुदान योजना के तहत किसानों के नाम पर करोड़ों के घोटाला की खबर प्रकाशित किया था।
खबर में बिलासपुर में भी इसी तरह से अनुदान में करोड़ों की राशि डकार लेने का खुलासा किया था। तत्कालीन कांकेर कलक्टर शम्मी आबदी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया था। टीम ने जांच भी नहीं किया और करोड़ों के घोटाले मेें लीपापोती कर दी। यह मामला संचनालय तक पहुंचा तो तत्कालीन सरकार ने जांच को दबा दिया।
प्रदेश सरकार बदलने के बाद यह मामला पुन: उजागर हुआ तो संचनालय स्तर पर जांच टीम का गठन किया गया। किसानों की अनुदान राशि गबन मामले में छग शासन की ओर से जगदलपुर और बिलासपुर में दो अलग-अलग टीम का गठन कर दिया गया। प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए जगदलपुर की टीम ने किसानों के घरों तक जांच किया तो मामला सही पाया गया। किसानों के नाम पर ड्रिप, स्प्रिंकलर, सिंचाई पम्प और कृषि यंत्रों के वितरण में भारी अनियमितता एवं अनुदान राशि में गड़बड़ी पाए जाने पर छग. शासन की ओर से अवर सचिव सीएस एक्का ने ८ मार्च को देर शाम उप संचालक कृषि चिरंजीव सरकार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।