उद्यानिकी-नेशनल हार्डिकल्चर विभाग की ओर वर्ष 2016 में नारियल की खेती के लिए जिले में 8.10 हेक्टेयर में लक्ष्य रखा गया था। प्रथम चरण में चार ब्लॉक में 103 किसानों की सूची तैयार किया गया था। तीन साल से विभाग की किसान दौड़ लगाकर थक चुके हैं। प्रदेश में सत्ता बदली तो मातहतों को किसान याद आ गए। किसानों को नारियल की खेती का प्रशिक्षण देने से पहले ही एक जनवरी 2019 को सिंगरभाट रोपणी केंद्र में 774 पौधों का स्टोर करा दिया गया। यानी तीन सप्ताह से नारियल के पौधे रोपणी केंद्र में एक स्थान पर पड़े हैं।
पत्रिका टीम ने पड़ताल किया तो पौधों में पानी भी नहीं डाला गया है। सभी पौधे एक पर एक स्टोर कर रख दिया गया, न तो किसानों में पानी डाला गया न ही किसी प्रकार तैयारी दिखी। विभाग के आलाधिकारियों से पड़ताल करने पर किसी प्रकार का संतोष जनक जानकारी नहीं मिली। इस योजना को अब नेशनल हार्डिकल्चर की बताई जा रही है।