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इन मशीनों से महानदी में हो रही अवैध रेत खुदाई, ओवरलोड हाइवा से कर रहे परिवहन

locationकांकेरPublished: May 04, 2019 04:28:44 pm

Submitted by:

Akanksha Agrawal

रेत उत्खनन संबंधित पर्यावरण नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए इस महानदी घाट तारसगांव-बोदेली में खुलकर माखौल उड़ाते हुए यह अवैध कारोबार खुलेआम चलाया जा रहा है। जिस पर खनिज विभाग के अफसर व स्थानीय राजस्व अमला भी मेहरबान है।

sand smuggling

इन मशीनों से महानदी में हो रही अवैध रेत खुदाई, ओवरलोड हाइवा से कर रहे परिवहन

चारामा. विकासखंड चारामा अंर्तगत आने वाले महानदी घाट तारसगांव-बोदेली में चैन माउन्टेन मशीन से अवैध रेत उत्खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दिन के अलावा रात के अंधेरे में भी लगातार इस महानदी घाट से ओवरलोड हाइवा वाहनों से रेत परिवहन किया जा रहा है।
रेत उत्खनन संबंधित पर्यावरण नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए इस महानदी घाट तारसगांव-बोदेली में खुलकर माखौल उड़ाते हुए यह अवैध कारोबार खुलेआम चलाया जा रहा है। जिस पर खनिज विभाग के अफसर व स्थानीय राजस्व अमला भी मेहरबान है। दिन व रात में नियम कानून को ताक पर रखकर चैन माउन्टेन मशीन से रेत माफिया व इस अंचल के कुछ सफेदपोश नेताओं के संरक्षण में चलने वाला यह अवैध कारोबार किसी तरह कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण बंद नहीं हो पा रहा है, न ही अब तक कोई कार्रवाई हुई है।
महानदी के इस घाट में रेत के स्वीकृत खदान सीमा से बाहर तक कहीं पर भी उत्खनन किया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में बरसात में बाढ़ आने पर स्थिति भयावह हो सकती है। आने वाले बरसात में बाढ़ आने पर नदी तट का कटाव होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। पिछले महीने 26 अपै्रल को पत्रिका ने इस मामले पर महानदी घाट तारसगांव-बोदेली में चैन माउन्टेन मशीन से अवैध रेत उत्खनन जारी शीर्षक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित कर शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था।
जबकि इस मामले पर जिला खनिज अधिकारी एसके साहू द्वारा महानदी में मशीन से रेत उत्खनन किए जाने पर जांचकर कार्रवाई करने की बात कही गई थी, बावजूद आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। संबंधित अधिकारी केवल पल्ला झाड़ते हुए जवाब दे रहें हैं। इस तरह से महानदी पर मशीन से रेत उत्खनन पर रोक नहीं लगाया जाना कहीं न कहीं रेत माफिया के साथ विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता की ओर इशारा कर रहा है।
इस मामले में अंचल के कुछ बुद्धजीवियों का कहना है कि चाहे पिछली सरकार हो या सत्ता में काबिज वर्तमान सरकार हो सभी जानते हैं कि महानदी का आस्तित्व पूरी तरह से इस रेत के कारोबार से खतरे में है, बावजूद किसी ने भी इस मामले पर किसी तरह से ठोस पहल करना जरुरी नहीं समझा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लगातार प्रकृति से छेड़छाड़ के चलते हमें इसका विपरीत प्रभाव भी झेलना पड़ेगा।
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