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कांकेर

सोसाइटियों के लिए धान खरीदी बना घाटे का सौदा, अब इस धंधे से तौबा

Kanker News: प्रति क्विंटल 33 रुपए कमीशन पर धान खरीदी में सहयोग करने वाली सहकारी सोसाइटियों के लिए धान खरीदी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। ऐसे में अब धान खरीदी करने से सोसाइटियां तौबा करने ठान ली हैं।

कांकेरSep 10, 2021 / 12:21 am

Ashish Gupta

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सोसाइटियों के लिए धान खरीदी बना घाटे का सौदा, अब इस धंधे से तौबा

कांकेर. Kanker News: प्रति क्विंटल 33 रुपए कमीशन पर धान खरीदी में सहयोग करने वाली सहकारी सोसाइटियों के लिए धान खरीदी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। ऐसे में अब धान खरीदी करने से सोसाइटियां तौबा करने ठान ली हैं। इस वर्ष 59514 क्विंटल धान शार्टेज आने से 70 सोसाइटियों पर 14.87 करोड़ देनदारी के संकट का बादल छाया है।
पड़ताल में विपणन ने बताया कि इस साल 70 सहकारी सोसाइटियों ने 125 धान खरीदी उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 29.60 लाख क्विंटल धान खरीदी किया है। धान खरीदी और उठाव के लिए करार के आधार पर 72 घंटे में उपार्जन केंद्रों से परिवहन किया जाना अनिवार्य था। दो माह खरीदी के बाद भी धान का उठाव नहीं किया गया।
मई और जून तक धान का परिवहन होते रहा, ऐसे में 70 समितियों में इस बार 59514 क्विंटल धान का शार्टेज (सूखती) आई है। अब सोसाइटियों को पत्र जारी कर सूखती की राशि 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दूर से जमा करने दबाव बनाया जा रहा है। अगर शासन से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से सोसाइटियों से वसूली किया गया तो 14.87 करोड़ की देनदारी होती है। वहीं 29.60 लाख क्विंटल धान खरीदी में 33 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सोसाइटियों को मात्र 9.76 करोड़ रुपए कमीशन बन रहा है। ऐसे में पांच करोड़ की राशि समितियां कैसे से जमा करेंगी।
सोसाइटियों की ओर शासन प्रशासन को पत्र भेजकर उक्त सूखती की राशि को माफ करने का आग्रह किया जा रहा है। सोसाइटियों को चिंता सता रही कि अगर शासन से जबरन वसूली किया गया तो पंजीकृत किसानों का 10-10 प्रतिशत शेयर बेचने के लिए विवश होंगी। धान सूखती को लेकर सोसाइटियों को चिंता सता रही है। दुधावा सोसाइटी की ओर से सूखती की राशि माफ नहीं किया गया तो आगमी धान खरीदी करने से मना कर चुकी है।
पटौद सोसाइटी के अध्यक्ष पीलाराम नेताम कह चुके हैं कि धान खरीदी से जो कमीशन की राशि मिलती थी उसी से कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च होता है। ऐसे में अगर इस तरह से धान सूखती का लोड सोसाइटियों पर आया तो सभी समितियां बर्बाद हो जाएंगी। लैम्पस के अध्यक्ष ने कहा कि यह तो एक तरह से धान शार्टेज (सूखती) नहीं बल्कि किसानों के शेयर पर कैंची चलेगी। कुछ सोसाइटियां कोर्ट की शरण में गई हैं। शासन-प्रशासन से अभी किसी प्रकार की राहत नहीं मिली है। बार-बार पत्र में माध्यम से धान शार्टेज होना बताया जा रहा है। सोसाइटियां भी अब इंतजार कर रहीं कि अगर वूसली के लिए दबाव बना तो घाटे के इस सौदा से तौबा कर लेंगी।

बोनस की राशि भी नहीं मिलेगी, इस साल 59514 क्विंटल धान शार्टेज
सोसाइटियों के पदाधिकारियों ने कहा, गत साल तक सभी समितियां जीरो प्रतिशत धान शार्टेज में आती थीं। समय पर धान खरीदी होती थी और समय पर उठाव के कारण सूखती नहीं आती थी। सूखती (शार्टेज) नहीं आने के कारण सोसाइटियों को 4 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कमीशन के अलावा बोनस मिलता था। 29.60 लाख की धान खरीदी में जीरो प्रतिशत का शार्टेज आने पर 1.18 करोड़ बोनस मिलता है। समय पर धान का उठाव नहीं होने के कारण अब एक रुपए का बोनस भी नहीं मिलेगा।

वहीं 70 समितियों में 59514 क्विंटल धान की सूखती इस वर्ष आई है। सोसाइटियों को इस साल 29.60 लाख क्विंटल धान खरीदी में 33 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 9.76 करोड़ कमीशन मिलना था और सोसाइटियों पर धान शार्टेज पर 14.87 करोड़ रुपए की देनदारी बन रही है। अगर सभी सोसाइटियों ने बोनस और कमीशन की राशि भी छोड़ दी तो कुल 11 करोड़ हो रहा फिर पूर्ति नहीं होगी। यानी 4 करोड़ की देरदारी सोसाइटियों पर चढ़ी रहेगी। ऐसे में किसानों पर वर्णन पडऩा तय माना जा रहा है।

किसानों का शेयर डूब जाने का खतरा
पंजीकृत किसान 10-10 प्रतिशत शेयर जमा करते हैं। किसान अपनी यह राशि कभी भी वापस ले सकते हैं। समिति में किसी प्रकार का नुकसान होने पर इस शेयर की राशि का उपयोग होता है। सोसाइटियां अब किसानों का शेयर विक्रय पर मजबूर होंगी। वरिष्ठ किसान केशरीचंद जैन ने कहा कि पहली बार जिले की सभी सोसाइटियों में धान शार्टेज है। इसका मुख्य कारण समय पर धान का उठाव नहीं है। अगर समितियों से वसूल किया गया तो सभी बबार्द हो जाएंगी। उधर, किसानों ने कहा कि यह पहली बार देखा जा रहा कि सभी सोसाइटियों में सूखती है।

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