हर गरीब परिवार को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन और चूल्हा मुफ्त में मिल रहा है। तीन साल में खाद्य विभाग को एक लाख ६५ हजार से अधिक लोगों को गैस और चूल्हा देने का लक्ष्य रखा गया है। यानी हर परिवार का घर धुआं रहित बनाने शासन-प्रशासन एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। जबकि सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन पकाने वाले रसोइया आज भी लकड़ी का चूल्हा जला रहे हैं। पत्रिका टीम ने पड़ताल किया तो नगर के आसपास एवं अंचल के एक भी स्कूलों में गैस का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने वाले रसोइया ने बताया कि शासन से लाखों रुपए प्रति माह तो खर्च किया जा रहा लेकिन गैस की सुविधा नहीं दी जा रही है। हर स्कूल में रसोइया मध्याह्न भोजन लकड़ी जलाकर पका रहे हैं। इससे तमाम तरह की परेशानी होती है। लकड़ी का चूल्हा जलते ही स्कूलों के परिसर में धुआं ही धुआं हो जाता है। कभी-कभी बच्चों के क्लास में धुआं अधिक होने के कारण बाहर जाना पड़ता है। इस तरह का संकट मध्याह्न भोजन पकाने में हो रहा है और लाखों का बजट एलपीजी के नाम पर स्वीकृत दिखाकर लकड़ी पर खाना बनाया जा रहा है।
२० पैसे में प्राथमिक के बच्चों का पक रहा भोजन:- 1591 प्राथमिक शाला में अध्ययनरत ५४१७७ छात्रों के लिए मध्याह्न भोजन पकाने में प्रति छात्र 20 पैसा प्रतिदिन की दर से खर्च किया जा रहा है। मध्याह्न भोजन में चावल को छोड़कर एक बच्चे पर 4.58 रुपए साग-सब्जी एवं अन्य खाद्य सामग्री पर खर्च किया जा रहा है। प्राथमिक शाला के बच्चों पर प्रतिदिन एलपीजी में 10835 रुपए खर्च हो रहा है और माह में तीन लाख का बजट लकड़ी जलाने के लिए दिया जा रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा कि स्कूल कब धुआं रहित होंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता के सुनील गोस्वामी ने बताया उज्ज्वला योजना के नाम पर हर परिवार को गैस और चूल्हा तो मुफ्त में सरकार दे रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने के लिए लकड़ी का उपयोग हो रहा है। ऐसे में धुआं रहित देश कहां तक सफल हो पाएगा।
कांकेर के डीईओ टीआर साहू ने बताया गैस के लिए अभी चारामा ब्लॉक का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। इस ब्लॉक के सभी स्कूलों में गैस की सुविधा हो जाने के बाद अन्य ब्लॉकों में भी पहल की जाएगी।