तत्काल की जाएगी कार्रवाई
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि एकीकृत बाल संरक्षण इकाई महिला एवं बाल विकास द्वारा बाल विवाह की रोकथाम हेतु ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति भी गठित की गई है। जिनके द्वारा बाल विवाह संपन्न होने की जानकारी मिलने पर तत्काल रोकथाम की कार्रवाई की जाएगी। ग्राम वासियों से अपील की गई है कि न तो बाल विवाह कराएंगे और न ही बाल विवाह होने देंगे।
बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है..
शर्मा ने कहा कि बाल विवाह सामाजिक कुप्रथा है जिसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है। बाल विवाह के कारण बच्चे पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने के अधिकार, अच्छा स्वास्थ्य, पोषण व शिक्षा पाने के मूलभूत अधिकारों से वंचित हो जाते हैं। कम उम्र में विवाह से बालिका का शारीरिक विकास रूक जाता है और गंभीर संक्रामक यौन बीमारियों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है।
बढ़ जाती है कई समस्या
विवाह के कारण कम उम्र की मां बनने की संभावना बढ़ जाती है जिससे उसके बच्चे और उसके जान का खतरा बढ़ जाता है। कम उम्र की मां के नवजात शिशुओं का वजन कम रह जाता है, साथ ही उनके सामने कुपोषण व खून की कमी की भी आशंका बनी रहती है। बाल विवाह की वजह से बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते है, जिससे उनके सामने अच्छा रोजगार पाने और आर्थिक रूप से कमजोर होने की संभावना बनी रहती है।
2006 के अंतर्गत किया जाता है कानूनी कार्रवाई
उन्होंने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बराती यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। विवाह में शामिल होने वाले सभी व्यक्तियों को एक-एक लाख रूपए जुर्माना सहित दो वर्ष का कारावास हो सकता है।