कांकेर

अनदेखी : भगवान भरोसे संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केन्द्र, कार्यकर्ता नदारद

पखांजूर मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का है, जहां पर कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता नदारत मिली है

कांकेरNov 17, 2018 / 03:51 pm

Deepak Sahu

अनदेखी : भगवान भरोसे संचालित हो रहा आंगनबाड़ी केन्द्र, कार्यकर्ता नदारद

पखांजूर. जिले के अंदरुनी इलाकों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र भगवान भरोसे संचालित हो रही है। मामला पखांजूर मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का है, जहां पर कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता नदारत मिली है। एक ओर शासन-प्रशासन द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों सहित गर्भवती महिलाओं की दशा सुधारने विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आंगनबाड़ी में ड्यूटीरत कार्यकर्ता और सहायिकाओं की लापरवाही से हितग्राहियों को शासन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
बताना लाजिमी होगा कि आवारा मवेशियों के आंगनबाड़ी केंद्र के भीतर घुसने से केंद्र में पढ़ाई करने पहुंचे नौनिहाल डर से भाग गए। आवासपारा बांदे आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता की लापरवाही से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को आवंटित किए जाने वाला पोषण पूरक आहार आवारा मवेशियों द्वारा चट कर दिया जा रहा है। केंद्र में बच्चों को दी जाने वाली रेडी टू ईट को आवारा मवेशी खा रहे थे।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ब्लॉक मुख्यालय में कुपोषित बच्चों की स्थिति क्या होगी। जिस पोषण पूरक आहार को मवेशियों द्वारा खाया जा रहा था, उसकी देखरेख करने वाला भी कोई जिम्मेदार आसपास नजर नहीं आ रहे थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र में मवेशियों का अस्थाई अड्डा के रूप में चिन्हित होता जा रहा है। बच्चों को दिए जाने वाली खाद्य सामग्री को भी आवारा मवेशी चट कर जाते हैं। अधिकतर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा केंद्र खोलने के पश्चात ड्यूटी समय में उपस्थित नहीं रहने की बात यहां अब आम बात हो गई है।

हड़ताल से होती है सर्वाधिक परेशानी
प्रदेश सरकार कुपोषण से मुक्ति के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन कुपोषण का दंश झेल रहे बच्चों को इससे छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में सर्वाधिक परेशानी उस समय बढ़ जाती है जब कार्यकर्ता हड़ताल पर चले जाते हैं। शुक्रवार को आवासपारा बांदे आंगनबाड़ी केंद्र हाल जानने पहुंचे प्रतिनिधि ने देखा कि केंद्र तो खुूला था, लेकिन भीतर आवारा मवेशियों द्वारा पोषण पूरक आहार को चट कर रहे थे। मवेशियों से डरकर बच्चे केंद्र छोडकऱ भाग निकले। लोगों का कहना है कि केंद्र तो खोला जाता है लेकिन कोई कार्यकर्ता मौजूद नहीं रहते। इस केंद्र में मवेशियों के डर से नौनिहाल भी केंद्र नहीं पहुंच पाते हैं। इतना ही नहीं बच्चों का रेडी टू ईट भी मवेशी ही खाते हैं।

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