बता दें कि इस मामले में पहले भी पत्रिका ने विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खबर प्रकाशित किया था, इसके बाद पत्रिका ने पड़ताल किया तो पाया कि लोग अत्यधिक पैसे होने के कारण गैस की जगह चूल्हे से खाना पकाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। उनका कहना है कि गैस के दाम में जिस तरह लगातार बढ़ोतरी हो रही है उससे प्रतिमाह गैस खरीदना संभव नहीं है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वे जैसे-तैसे मजदूरी कर अपना जीवन यापन चलाते हैं, मजदूरी में उन्हें उतना अधिक पैसा नहीं मिल पाता है कि गैस का खर्च निर्वहन कर सके।
उपर से गैस के दाम अब हजार रुपए तक हो गए हैं, उन्होंने बताया कि उससे अच्छा है कि वे चूल्हे से ही काम चला लेते हैं। इससे उनके पैसे भी बच जाते हैं। वहीं एक अन्य मनकेसरी के सुखा राम से बात किया तो उसने कहा कि शासन ने उन्हे गैस सिलेण्डर तो उपलब्ध करा दिया है, लेकिन गैस के दाम में इतनी अधिक बढ़ोतरी की है कि उनका गैस भराना संभव ही नहीं है। जिसके कारण वे गैस का उपयोग ही नहीं करते हैं।