मृतक की पत्नी देवली कोरटिया ने बताया कि मंगलवार को रात करीब 8 बजे दो युवक और एक बच्चा घर में प्रवेश किया और सिस्टर-सिस्टर चिल्लाने लगे। मैं बाहर निकल कर देखी तो दो युवक और एक बच्चा स्कूल ड्रेस में खड़े थे। एक युवक अपने पैर की चोट को दिखाकर पट्टी बांधने के लिए कहा और बच्ची को बुखार होना बताकर दवाई की मांग कर रहा था। मैंने तीनों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोंडे जाने को कहा तो उन्होंने अस्पताल में जाने से मना कर दिया।
वह खुद को सराधुघमरे गांव के निवासी बता रहे थे, इसी बीच रसोई से निकलकर मेरे पति भी आए और तीनों व्यक्ति को अस्पताल जाने के लिए कहने लगे। इसी बीच अजनबी व्यक्ति को देख कुत्ता भौंकने लगा। मालिक के बचाव को देख दो युवकों में से एक युवक ने पिस्तौल निकाल कर कुत्ते को गोली मार दी। इतने में मेरे पति अनहोनी होते देख मंदिर के सीढ़ी से छत पर चढ़ गए और हमलावर भी दौड़ाते हुए छत पर चढ़ गए और धड़ाधड़ गोलियां चला दी। मैं भी डर से घर में छुप गई। कुछ देर बाद छोटी बच्ची जाकर देखी तो मेरे पति लहूलुहान हालत में छत से नीचे मृत अवस्था में पड़े थे। मेरे पति बचाओ बचाओ कहकर चिल्ला भी रहे थे। घर के बाहर सात आठ लोगों की आवाज आ रही थी। जिसमें कुछ लोग कह रहे थे, आरएसएस का आदमी है, गुंडागर्दी करता था, इसको तो मारना ही था और नक्सली जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे।
उन्होंने बताया कि मेरे पति को नक्सलियों ने नहीं मारा है। बल्कि पुरानी रंजिश से ही मेरे पति की हत्या हुई है। मैंने आवाज लगा रहे लोगों की आवाज पहचान ली है। कुछ लोग आसपास के गांव के ही हैं। पिछले वर्ष भी 15 अगस्त को मेरे पति को खेत के तरफ अज्ञात लोगों ने गोली चलाई थी और मारने के लिए दौड़ाए थे। इसकी सूचना पुलिस को दिया गया था। पुलिस पूछताछ की थी लेकिन अब तक आरोपी तक नहीं पहुंच पाई है। उन्हीं लोगों ने आज मेरे पति की हत्या कर दी। यदि पुलिस पिछले वर्ष कार्यवाही करती तो आज घटना नहीं होती। मेरे पति के साथ हुई घटना नक्सली नहीं है। यह हत्या आपसी रंजिश से हुई है। आरएसएस कार्यकर्ता के ऊपर आखिर एक साल पहले खेत की मेड़ पर किसाने गोली चलाई थी।
पुलिस अधीक्षक केएल ध्रुव ने बताया कि पर्चा और राउंड के खाली खोखे व बैनर पोस्टर से प्रतीत हो रहा कि नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया है।
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