कांकेर

साल में सिर्फ दो दिन झंडारोहण के लिए स्कूल आता है शिक्षक,28 बच्चों का भविष्य अंधकार में

गुरुजी रोज दोपहर में स्कूल बंद कर देते हैं और हम लोग मध्यान भोजन करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं

कांकेरMar 26, 2018 / 01:38 pm

Deepak Sahu

एक तो साल में मात्र दो दिन स्कूल तो दूसरा शिक्षक स्कूल में मोबाइल पर कार्टून देखता है। दोपहर में बच्चे मध्यान भोजन कर अपने-अपने घर चले जाते हैं। स्कूल में पत्रिका टीम ने शुक्रवार को पड़ताल करने पहुंची तो दोपहर करीब एक बजे बच्चे स्कूल में खेल रहे थे। बच्चों ने बताया कि गुरुजी रोज दोपहर में स्कूल बंद कर देते हैं और हम लोग मध्यान भोजन करने के बाद अपने अपने घर चले जाते हैं। बच्चों से टीम ने जब 2 का पहाड़ा पूछा तो बोले हमें नहीं आता है।

गुरुजी मोबाइल पर हम लोगों को कार्टून दिखाते हैं। आप के मोबाइल में कार्टून हो तो हमें दिखा दीजिए। पालकों से बताया कि बच्चों को स्कूल तो पढऩे के लिए भेज देते हैं। गुरुजी नहीं पढ़ा रहे तो हम क्या करें। शिक्षा विभाग में अफसरों के यहां शिकायत कर थक चुके हैं। दो साल से किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। कोटकोड़ा निवासी दोरूराम कोर्राम और जगदीश कोर्राम ने बताया कि स्कूल में दोपहर में बंद होने की शिकायत अंतागढ़ में कर चुके हैं। एक शिक्षक नहीं आता है तो दूसरा शिक्षक भी बच्चों को नहीं पढ़ाता है। हमारे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।

कांकेर के जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू ने कहा इस संबंध में हमें जानकारी नहीं है। बीईओ से इस बारे में पता कर रहा हूं। अगर इस तरह की लापरवाही शिक्षक कर रहा तो उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ माफ नहीं किया जाएगा।

पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस नरेश ठाकुर ने कहा रमन सरकार शिक्षकों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। शिक्षकों की उपस्थिति के लिए करोड़ों का टैवलेट कमीशन में बांट दिया। बावजूद शिक्षक अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं। आदिवासियों के बच्चे पढ़ नहीं पाएं यह तो सरकार की एक सोची समझी साजिश है।

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