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राखी बांधकर बहनों ने कहा – भाई अब तुम अकेले नहीं हम सब एक हैं, सुनकर रो पड़ा मासूम

locationकांकेरPublished: Aug 26, 2018 04:04:10 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

छात्राओं ने राखी बांधी तो झलक उठे आंसू

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राखी बांधकर बहनों ने कहा – भाई अब तुम अकेले नहीं हम सब एक हैं, सुनकर रो पड़ा मासूम

पखांजूर. छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लाक के ग्राम पीवी 34 निवासी जगन्नाथ जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग होने के चलते हर रक्षाबंधन पर उसके आंखे भर आती थीं। अपने स्कूल के होनहार व चहते जगन्नाथ के उदासी का पता चलते ही उसके कक्षा के सभी छात्राएं अब उसे राखी बांधने का संकल्प लिए है। अब वह किसी भी त्यौहार में उदास नहीं रहेगा।

शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल कापसी में अध्ययनरत १४ वर्षीय जगन्नाथ को शाला की छात्राओं ने राखी बांधने का शपथ लिया है। विदित हो कि राखी पर्व में एक बहन अपने भाई के कलाई में रक्षा का धागा बांधती हैं और एक भाई अपने बहन की ताउम्र रक्षा का वचन लेता है। राखी भाई-बहनों के लिए बेहद आनंद भरा त्यौहार माना जाता है परंतु कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्राम पी.व्ही. 34 में रहने वाला जगन्नाथ देवनाथ की आंखे इस त्यौहार में दर्द और बेबसी के आंसू से छलक उठती हैं । दरसअल जन्म से ही जगन्नाथ के दोनों हाथ विकसीत नहीं हो पाए हैं जिससे उसके पास दोनों हाथ नहीं है, परंतु जगन्नाथ को इस दिव्यांगता पर कोई अफसोस नहीं है। वह बहुत ही बहादुरी और साहस के साथ वो रोजाना अपने जीवन के इस कमी से बख़ूबी संघर्ष करता है।

रोजाना स्कूल जाता है, हाथों के जगह अपने पैरों से लिखता है और बाकि बच्चों की तरह ही पढ़ाई और दूसरे काम करता है जिसमें उसके परिवारजन क्लास के सहपाठियों और स्कूल के शिक्षक उसकी भरपूर मदद करते हैं। साल भर जगन्नाथ सबके बीच अपनी दिव्यांगता को भूलकर हंसते खेलते रहता है, परंतु रक्षाबंधन के पास आते ही उसे अपने हाथ न होने का मलाल होता है और वह इस दौरान कई दिनों तक उदास ही रहता है।

भाइयों के कलाई पे बहनों को राखी बांधते देख उसकी आंखें नम हो जाती है । साहस के साथ हर रोज अपनी दिव्यांगता से लडऩे वाला जगन्नाथ रक्षाबंधन के दिन हार मानने लगता है। परंतु इस साल शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल कापसी के बालिकाओं ने जगन्नाथ को राखी बांधी और उनका कहना है कि हम सब अब जगन्नाथ की बहना बनेंगी और इस रक्षा बंधन से हर साल रक्षाबंधन के दौरान होने वाले दु:ख और मलाल से उसे बाहर निकालेंगी। वास्तव में जगन्नाथ के साहस और इस बालिकाओं का जगन्नाथ के प्रति भ्रातृप्रेम इंसानियत की मिसाल है ।

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