scriptजान जोखिम में डाल जीवन गढऩे रोज नाव में विद्यार्थी जाते हैं स्कूल | student go school by taking risk of their life in chhattisgarh | Patrika News

जान जोखिम में डाल जीवन गढऩे रोज नाव में विद्यार्थी जाते हैं स्कूल

locationकांकेरPublished: Sep 01, 2018 05:18:08 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

40 परिवारों के इस गांव तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को बारिश के दिनों में नाव का सहारा लेना पड़ता है।

water

जान जोखिम में डाल जीवन गढऩे रोज नाव में विद्यार्थी जाते हैं स्कूल

विवेक दास मानिकपुरी@कांकेर. जिला मुख्यालय से महज 30 किमी दूर नरहरपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बिहावपारा के आश्रित गांव भर्रीपारा बाढ़ के पानी से टापू में तब्दील हो गया है। 40 परिवारों के इस गांव तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को बारिश के दिनों में नाव का सहारा लेना पड़ता है। स्कूली बच्चों को चार माह तक पालक बारी-बारी दुधावा गांव छोडऩे के लिए आते है। किसी कारण पालक नाव चलाने नहीं पहुंचे तो बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। महानदी पर बने दुधावा डेम के डुबान में आने वाले अधिकांश गांवों को बाहर बसा दिया गया है। कुछ गांवों के लोग आज भी आबादी भूमि पर निवास करते हैं।

ग्राम पंचायत बिहावपारा के आश्रित गांव भर्रीपारा भी इसी तरह का गांव है। बारिश का सीजन प्रारंभ होते ही भर्रीपारा मोहल्ला टापू में तब्दील हो जाता है। गांव के चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता है। गांव में सिर्फ प्राथमिक शाला तक बच्चों को पढऩे के लिए स्कूल बना है। हाईस्कूल और मिडिल स्कूल की पढ़ाई करने बच्चों को दुधावा आना पड़ता है। पत्रिका टीम ने पड़ताल किया तो मिडिल स्कूल के 8 बच्चे और हाईस्कूल के 3 बच्चे दुधावा पढऩे के लिए आते हैं। इन बच्चों को भर्रीपारा से दुधावा तक लाने के लिए सिर्फ नाव ही सहारा है। गांव में चंदा जुटाकर एक नाव बनी है। पालक बारी-बारी बच्चों को प्रतिदिन नाव से स्कूल छोडऩे और वापस ले जाने के लिए आते हैं। भर्रीपारा की करीब दौ सौ जनसंख्या है। गांव तक सड़क नहीं होने से परेशानी होती है। इस गांव तक विकास नहीं पहुंचा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो