भैंसासुर के ग्रामीणों ने चार दिन पहले ट्रकों को बीच सडक़ पर रोका तो विवाद की स्थिति देख पुलिस टीम और एसडीएम दलबल के साथ पहुंच गए थे। अंतागढ़ विधायक का आवश्वास मिलने के बाद सडक़ से ग्रामीण हटने के लिए तैयार नहीं हुए तो माइंस प्रबंधक ने सुरेवाही गांव होते हुए परिवहन करने की योजना बना डाली। शनिवार को सुरेवाही गांव में भी ग्रामीणों ने हंगामा किया तो पुलिस बल पहुंच गई। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते ही ट्रक संचालक लौट गए। माइंस प्रबंधक को ग्रामीणों ने घेरने का प्रयास किया तो वह भाग खड़ा हुआ।
माइंस प्रबंधक की मानमानी को देखते हुए पुलिस ने किसी वाहन को परिवहन होने की अनुमति नहीं दी। सुरेवाही के ग्रामीणों ने रविवार को बांस बल्ली लगाकर रोड जाम कर दिया। सडक़ पर डेरा डाले ग्रामीणों ने कहा कि अब आरपार की लड़ाई लड़ेंगे। जब तक सडक़ चौड़ीकरण, डामरीकरण नहीं होगी परिवहन नहीं होने देंगे। ग्रामीणों ने कहा हमें सिर्फ माइंस से धूल के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। गांव में मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने माइंस प्रबंधक की जिम्मेदारी थी। आज तक माइंस द्वारा किसी प्रकार की सुविधा नहीं कराया गया। यहां सडक़-शिक्षा की किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। ग्रामीणों ने कहा सुरेवाही की सडक़ कच्ची और ग्रामीणों के आने जाने के लिए बनी है। इस सडक़ पर डामरीकरण नहीं किया गया है। माइंस से परिवहन होने पर ग्रामीणों को परेशानी होगी, ऐसे में ट्रकों को नहीं जाने देंगे।
पीडि़त परिवार को नहीं मिला मुआवजा
चारगांव माइंस के ट्रक की चपेट में आने से चाल साल के मासूम बच्चे की मौत के पांचवें दिन बाद भी मुआवजा नहीं दिया गया। जबकि हादसा के दिन परिवहन संघ की ओर से आश्वासन दिया गया था कि तत्काल पीडि़त परिवार की मदद की जाएगी। मृत मासूम के माता-पिता का अभी इलाज चल रहा है। वैसे आपातकलीन मौत होने पर जिला प्रशासन से अर्थिक लाभ तत्काल देने का प्रावधान किया गया है। जबकि पीडि़त परिवार को न तो जिला प्रशासन से किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिली न ही ट्रक परिवहन संघ ने सहायता राशि दी। पीडि़त परिवार को सहायता राशि नहीं मिलने पर ग्रामीणों में आक्रोश है।