12 टन क्षमता वाली रोड पर 36 टन की ट्रक दौडऩे से टूट रही है। माइंस संचालक के जिम्मेदार हर बार सिर्फ हां हां जवाब देते हैं पर समस्या का समाधान नहीं करा पाते हैं। कुहचे की महिलाओं ने कहा कि जब से क्षेत्र में माइंस का संचालन किया जा रहा लोगों को यहां रहना दूभर गया है। बारिश का मौसम आते ही पूरी सड़क कीचड़ में तब्दील हो जाती है। बारिश समाप्त होते ही धूल के कारण लोगों को स्वांस लेने में परेशानी होने लगती है। बार-बार जिला प्रशासन से निवेदन करने के बाद भी न तो माइंस को बंद किया गया न ही वाहनों की आवाजाही के लिए उचित बंदोबस्त किया।
सड़क पर दौड़ रही ट्रकों के चलते लोगों की सेहत खराब हो रही है। धूल के कारण गला संबंधी परेशानी बढ़ती ही जा रही है। इसी से परेशान होकर सभी ग्रामीण आंदोलन करने का निर्णय लिए हैं। ग्राम कुचहे की महिलाओं के आंदोलन से माइंस प्रबंधन में खलबली मची है। कोदागांव के ग्रामीणों ने कहा कि चार अक्टूबर को एसडीएम ने इस रोड से माइंस का परिवहन नहीं होने का आदेश जारी किया और 6 अक्टूबर को अपने ही आदेश को रद्द कर दिया। ऐसा कौन सा संकट अफसर के समक्ष खड़ा हो गया कि दो दिन के अंदर ही अपने ही फैसले को पलट दिए। ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा जब तक ठोस बंदोबस्त नहीं किया जाएगा तब तक सड़क से जाम नहीं खत्म होगा।