सुबह से भूखे बच्चों व बड़ों को खुद खड़े होकर खाना खिलाया गया। गृहस्थी के साथ मवेशियों का चारा भी जल गया। मवेशियों के लिए गाडिय़ों से चारा व भूसा लाकर खिलाया गया। बार-बार मंजर याद आने पर आंखों में आंसू आ जाते। कुछ ग्रामीणों की मेहनत मजदूरी की रकम भी जलकर राख हो गई। कोई नकदी तो कोई जरूरी सामान ढूंढते रहे। मौके पर पहुंचे अफसरों को जला सामान दिखाते रहे। भइया लाल के बेटे प्रमोद की जून में शादी होनी थी। भइया लाल शादी का सामान भी अभी से जुटा रहे थे। जो जल कर खाक हो गया।
कैसे लगी आग, बना एक सवाल भिम्मापुरवा में शार्ट सर्किट से आग लगने का सवाल नहीं उठता है। ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले कई बार गांव में आग की घटनाएं हो चुकी हैं। किसी तरह का बड़ा हादसा न होने के कारण ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ यह कोई नहीं जान सका। आग शार्ट सर्किट से लगी या किसी शरारती तत्वों ने लगाई दिनभर चर्चा का विषय बना रहा। अधिकारी भी कारण जानने में जुटे रहे। आग शरारती तत्वों ने लगाई यह साफ है क्योंकि जिनके घर जले वहां बिजली कनेक्शन ही नहीं थे। गांव से विद्युत लाइन भी काफी दूर है।
पीडि़तों को मिली आर्थिक सहायता जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने घटना का संज्ञान लिया। फोन पर पल-पल जानकारी जुटाते रहे। फौरन एसडीएम सदर शालिनी प्रभाकर को भेजकर प्रधान के सहयोग से ग्रामीणों को खाने-पीने की व्यवस्था कराई। अन्य घरेलू व जरूरत का सामान भिजवाया। रामपाल, राम देवी, भइया लाल, मंशाराम, सुंदर लाल, सुरेश, राजाराम, जिया लाल, रावेंद्र, राम लडैते, परशुराम, गंगाराम, नेकराम, ऊधन, प्रमोद, गुलाब, राधे, राम गोपाल, वीरेंद्र, अरविंद, रजनीश, अंकित व दिलीप को दैवीय आपदा मद से 7,900 रुपये के हिसाब से 1,73,000 रुपये देने की संस्तुति एसडीएम ने की। इसके बाद पीडि़तों के खातों में धनराशि आरटीजीएस के माध्यम से भेज दी गई। वहीं जिनके खाते नहीं थे प्रधान की मदद से चेक से भुगतान किया गया।