script33 years ago life of 35 villages was destroyed in fire DM of UP helped | Robinhood IAS: 33 साल पहले आग से तबाह हो गई थी 35 गांव की जिंदगी, रॉबिनहुड बनकर UP के इस DM ने की मदद | Patrika News

Robinhood IAS: 33 साल पहले आग से तबाह हो गई थी 35 गांव की जिंदगी, रॉबिनहुड बनकर UP के इस DM ने की मदद

locationकन्नौजPublished: Sep 13, 2023 05:43:19 pm

Submitted by:

Vikash Singh

Robinhood DM: कहानी आज से 33 साल पहले यानी साल 1990 की है। एक गांव में भीषण आग लगती है। आग की चपेट में आने से पुरे गांव के लोगों का सामान जलकर खाक में मिल गया। खाने-पीने से लेकर कपड़े और कागजात तक सब कुछ जल गया। कपडे और खाने पिने की चीजें तो लोगों ने इकठ्ठा कर ली। लेकिन, कागजात बनवाने में 35 गांव के लोगों को कुल 33 साल का समय लग गया। इस काम को रिकार्ड 8 महीने में पूरा किया कन्नौज के DM शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने। आइए पूरी कहानी में उतरते हैं…

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आठ महीने की कड़ी मेहनत के बाद पिछले सप्ताह डीएम ने नंदलालपुर गांव के 212 किसानों को राजस्व कागजात सौंपे।

कन्नौज के नंदलालपुर सहित 35 गांव के लोगों के लैंड रिकॉर्ड्स साल 1990 में लगी भयंकर आग में जलकर खाक हो गए थे। इसकी वजह से पिछले 33 सालों से किसी तरह की सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। खतौनी नहीं होने की वजह से कई सारी कल्याणकारी योजनाओं की सुविधा भी नहीं मिली। कागज जल जाने से बैंक ने इन गांव के लोगों को लोन देने से मना कर दिया था।

8 महीने से जुटे थे जिलाधिकारी
कन्नौज के डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ला को यह मामला पता चला तो उन्होंने समाधान करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए। जमीन का सर्वे करने और पुराने दस्तावेज के साथ मिलान करने से मालिकाने हक के नए कागजात तैयार हुए। आठ महीने की कड़ी मेहनत के बाद पिछले सप्ताह डीएम ने नंदलालपुर गांव के 212 किसानों को राजस्व कागजात सौंपे। इसके साथ ही 34 बाकी गांव में सर्वे का काम जारी है।
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अब इन खतौनी की वजह से ग्रामीणों को फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ से सकेंगे। इस इलाके के किसान आलू, मक्का, मूंगफली जैसी फसलों की खेती करते हैं। इसके साथ ही जमीन के कागजात होने का मतलब है कि जमीन और खेती के विवाद भी कम होंगे। विरासत भी आसानी से हो सकेगी।

जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि खतौनी को फिर से जारी करने की प्रक्रिया काफी जटिल और चुनौतीपूर्ण रही। इस पूरे कार्य में धैर्य और दृढ़ संकल्प की दरकार है। पिछले कई साल से यहां के ग्रामीण राजनेताओं और अधिकारियों से अपील करते चले आ रहे थे।
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'नेता तो सीधा मना कर देते थे' रॉबिनहुड बनकर डीएम ने की मदद
स्थानीय युवक अभिषेक यादव अभी 28 साल के हैं। वह बी.एड करने के बाद अब नौकरी की तलाश में हैं। उन्होंने कहा कि जब कभी भी हम लोग अपने प्रतिनिधियों के पास जाते थे, तो वे लोग इसे काफी कठिन बताते हुए सीधा मना कर देते थे। वे यह भी कहते कि यह काम कभी नहीं हो सकता है। इस वजह से ग्रामीण हताश हो गए थे। अब बाकी के 34 गांव वालों को भी किस्मत में बदलाव का इंतजार है।
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'कितनी सरकार-अधिकारी आए और गए'
ग्राम प्रधान नागेंद्र सिंह ने कहा कि कितनी सरकारें आईं और गईं। कितने अधिकारी आए और गए। लेकिन किसी ने भी हमारी समस्या की सुध नहीं ली। यह काम केवल वर्तमान डीएम और उनकी टीम की मेहनत की वजह से ही सफल हो पाया। ऐसा ही कुछ किसान शिवशंकर ने भी कहा। वह बोले कि जमीन होकर भी हम लोग भूमिहीन ही थे। केवल एक इंसान की शुरुआत ने सबकुछ बदल दिया।

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