सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर किया पलटवार अखिलेश यादव ने कहा कि जो साधू हो, सन्त हो, हमारे हिन्दू समाज में साधू और सन्त की बहुत ही प्रतिष्ठा है। अगर हम किसी को भगवारंग में देख ले तो हम उसे सम्मान की दृष्टि से देखते है। अगर साधू संत है और यह भी है। तो कम से कम उनकी भावना और भाषा ऐसी नहीं होनी चाहिए। लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है। अगर हम किसी बात से सहमत नहीं है तो उसका विरोध कर सकते है और इसलिए मैं समझता हूं बड़ी संख्या में महिलाएं, माताएं, बहनें आयी, हमें खुशी है इस बात की कि कभी रानी लक्ष्मीबाई अपने स्वाभिमान, सम्मान के लिए लड़ी थी।
आज लाखों की संख्या में महिलाएं हैं, सवाल केवल मुस्लिम समाज का नहीं है। जितने लोग जो भारतीय हैं जो समझते है कि आने वाले समय में क्या आने वाला है वह भारत की जो संविधान बचाने के लिए लोग खड़े है। हम उनको बधाई देते है। मैं बहुत साफ कहना चाहता हूं आपसे कि देखिए राजनीति में किसी राजनेता की भाषा यह नहीं हो सकती है कि डंके की चोट पर, राजनीति नेताओं की जो लोकतंत्र पर भरोसा करते है उनकी यह भाषा नहीं हो सकती है कि ठोक दें। किसी नेता की यह भाषा नहीं हो सकती है कि जवान हम खैंच लें। हम तो उनसे कहते है कि यह सड़क जो बनी है। एक्सप्रेसवे जो बना है हम तो चाहते हैं कि इस पर वह बहस कर लें। कन्नौज में मेडिकल कालेज जो बना है इस पर बहस कर लें। आप पैरामेडिकल पर बहस कर लें। कैंसर इन्स्टीट्यूट जो बनी है। उस बहस कर लें। इत्र का पार्क बना उस पर बहस कर लें, इन्जीनिरिंग कालेज बने उस पर बहस कर लें और छोड़ो उसकी यह 100 बेड का अस्पताल है इसी पर बहस कर लो कि आपने कौन सा 100 बेड का अस्पताल बना दिया।