सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के संसदीय क्षेत्र में पार्टी बुरी तरह पराजित हुई है। आठ निकाय क्षेत्रों में एक भी सीट पर अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है। इससे पार्टी नेतृत्व से लेकर निचले स्तर तक सभी सोचने को मजबूर हो गए हैं। एक-एक वार्ड तक पार्टी को मिले मतों व नेताओं की कार्यशैली की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसमें जिलाध्यक्ष के साथ प्रमुख नेता लगाए गए हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यह रिपोर्ट सीधे पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने रखी जानी है। इसके बाद कई कड़े फैसले हो सकते हैं। इसी तरह कांग्रेस भी अपनी हैसियत का आंकलन कर रही है। प्रत्येक नगर पालिका व नगर पंचायत में मिले वोटों की स्थिति से कांग्रेस के सिपहसालार सोचने को मजबूर हैं। नए सिरे से पूरी ताकत के साथ खड़े होने की तैयारी की जा रही है।
नगर पंचायत क्षेत्र समधन में जरूर पार्टी उम्मीदवार ने थोड़ी ताकत दिखाई, लेकिन बाकी जगह हाल बेहद खराब रहा। वहीं, भाजपा व बसपा के सियासी विशेषज्ञ भी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर मंथन में जुट गए हैं। आठ निकाय क्षेत्रों में दो भाजपा व दो बसपा के खाते में गए हैं। इनमें दो नगर पालिका व दो नगर पंचायत क्षेत्र शामिल हैं। इससे भाजपा व बसपा जिले में निकाय चुनाव परिणाम में बराबरी पर खड़ी हो गई है। अब दोनों दलों की निगाह लोकसभा चुनाव पर है। अपनी-अपनी रणनीति बनाने पर काम शुरू हो गया है। दिग्गज नेताओं के साथ निचले स्तर के समर्पित कार्यकर्ताओं की राय ली जा रही है। रायशुमारी के बाद आगे का फैसला होगा।