ऐसे हुयी थी पड़ताल शुरू जिला मुख्यालय की नाक के नीचे जीटी रोड किनारे सालों से ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को भर्ती कर बिना डिग्री के अर्शी हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर के मालिक मुशीर अहमद ऑपरेशन करने में जुटा था। कुछ दिन पहले ठेलिया में अपनी पत्नी सोनी को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे अजीत दोहरे ने अस्पताल प्रबंधन पर पत्नी की बच्चेदानी निकालने का आरोप लगा शिकायत दर्ज कराई तो पड़ताल शुरू हुई। इसके बाद नर्सिग होम का पंजीयन रद कर नोटिस दिया गया। नर्सिग होम में गुपचुप इलाज फिर भी चलता रहा तो स्वास्थ्य महकमे से प्रशासनिक अफसर हरकत में आए।
इन इन जगहों पर पड़ा ताला एसडीएम सदर शालिनी प्रभाकर, सीओ सदर लक्ष्मीकांत गौतम ने भी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे के अफसर एसीएमओ डी.पी. आर्या, डॉ. के.सी.राय, डिप्टी सीएमओ डॉ. राम मोहन तिवारी और मलेरिया निरीक्षक शैलेन्द्र सिंह की टीम अर्शी नर्सिग होम पहुंची। टीम ने पैथालॉजी, ओपीडी, सभी वार्ड व ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया। हॉस्पिटल में ही मुशीर अहमद का घर होने के कारण मुख्य द्वार पर ताला नहीं लगाया। हालांकि यहां पर अस्पताल सील होने का नोटिस चस्पा किया गया है।
जब रंगे हाथ पकड़ा गया डिप्टी सीएमओ राम मोहन ने बताया कि मुशीर अहमद के पास ओपीडी चलाने की भी डिग्री नहीं थी। वह लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा किए था। अस्पताल का पंजीकरण कराने के लिये उसने डिग्री वाले डॉक्टरों के शपथपत्र स्वास्थ्य विभाग में जमा किए थे। उसी आधार पर पंजीयन किया गया था। समय-समय पर होने वाले निरीक्षण में भी वह इन्हीं शपथ पत्र और डॉक्टरों की डिग्रियां टीम को दिखा कर बच निकलता था। पांच मई को जब स्वास्थ्य टीम ने यहां छापा मारा तो पता चला कि मुशीर ही ऑपरेशन करता है। उसे रंगे हाथ पकड़ा भी गया। जिन डॉक्टरों का पैनल रजिस्ट्रेशन में दिखाया गया है। वह कभी आते ही नहीं हैं। हालांकि उनकी तय रकम हर माह पहुंचाई जाती रही। इधर, कुछ अर्से से उन डॉक्टरों ने हाथ भी खड़े कर दिए थे। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि अब उसके खिलाफ भी अलग से मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग पर भी खड़े हुए सवालिया निशान ? सदर कोतवाली के हैबतपुर कटरा निवासी अजीत दोहरे की पत्नी के गलत इलाज के बाद अर्शी अस्पताल की करतूतें एक-एक कर खुलती चली गर्इं। हालांकि छह साल से यहां पर मरीज भर्ती कर इलाज होता रहा पर स्वास्थ्य महकमे को कोई कमी नजर नहीं आई। इससे सवालिया निशान खड़े होने लगे हैं। छह साल पहले अस्पताल पंजीयन में खामी क्यों नहीं दिखी। ढाई साल पहले एक स्टिंग ऑपरेशन के जरिये मुशीर के ऑपरेशन की पोल खुलने पर स्वास्थ्य महकमे ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इससे तमाम मरीजों को समस्याएं हुईं।