स्वास्थ्य विभाग की खुली पोल
आपको बताते चलें कि यूपी के कन्नौज के गुगरापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के लिए आई प्रसूता का ‘मंगलसूत्र’ गिरवी रखवाकर उसे प्रसव की फीस अदा करने को मजबूर किया गया। आप चौकिएगा नहीं क्योंकि जननी सुरक्षा की कड़ी में ‘सुरक्षित प्रसव’ सरकारी तंत्र की कमाई का जरिया बन गया है। प्रसूता के परिजनों की मानें तो बीती रात गुगरापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद पर प्रसव के लिए आई प्रसूता से प्रसव के दौरान प्रसव करा रही नर्स और दाई ने प्रसव कराने की कीमत मांगी जिस पर उसने पैसे न होने की बात कही।
जब मंगलसूत्र को रखा गिरवी
आखिर में मजबूर प्रसूता को अपना ‘मंगलसूत्र’ गिरवी रखकर प्रसव की कीमत चुकानी पड़ी। प्रसव के दौरान उस महिला को एक पुत्री हुई। उसके बाद घर जाने से पहले प्रसूता के परिजनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव कराने बाली नर्स और दाई को प्रसव की कीमत अदा करने के लिए उनको नर्स को 700 और दाई को 250 रुपए देने पड़े और फिर अपनी बेटी को लेकर घर आए और हद तो तब हो गई जब पैसे कम देने पर जो दवा जननी को दी जाती है, वह भी नहीं दी गई।
एम्बुलेंस ने भी दिया धोखा
गुगरापुर गांव की रहने बाली महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो आनन फानन में एम्बुलेंस को कई बार काल की गई लेकिन कॉल करने के बावजूद भी जब एम्बुलेंस नहीं आई तो प्रसूता को प्राइवेट वाहन से गुगरापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर लाया गया। जहां उसके बाद प्रसूता को अपना ‘मंगलसूत्र’ भी गिरवीं रखना पड़ा तब उन्हें बेटी रत्न मिली।
बोले अफसर
इस बावत जब हमने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा हमारे पास अभी कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। सिर्फ पीड़ित से टेलीफोन पर ही बात हुई है। अगर शिकायत आई और इस तरह का मामला सही हुआ तो उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस तरह पैसे लेना बहुत गलत बात है। जननी सुरक्षा के तहत सरकार द्वारा जननी को खुद 1400 रुपए दिए जाते है।