चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव ने आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय उत्तर प्रदेश साजिद आजमी को जांच सौंपी थी। साजिद आजमी की निगरानी में संपरीक्षा दल के सदस्य लेखाकार विवेक कुमार त्रिपाठी और सुनील राय ने जांच शुरू की थी। आठ जुलाई 2019 से शुरू हुई जांच 16 जुलाई 2019 तक की गई। इसमें सामने आया कि हर्ष इंटरप्राइसेस को करीब छह साल से नियमों की अनदेखी कर टेंडर दिया गया। इसमें 2019 में स्वीपर, चपरासी, वार्ड ब्वाय, चौकीदार, धोबी और कारपेंटर पद पर 317 कर्मचारियों की तैनाती दिखाई गई।
वहीं जून 2019 में सिर्फ 127 संविदा कर्मचारियों की बायोमीट्रिक में उपस्थिति दर्ज मिली है। दो जून से चार जून तक 190 कर्मचारियों के फर्जी बार कोड और फिंगर स्कैन गलत पाए गए। करीब 35 माह में फर्म की ओर से 445 करोड़ भुगतान की गई रकम में बड़ा घोटाला होने की बात कही गई है। इससे अब आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशक ने चिकित्सा शिक्षा सचिव को पत्र भेजकर जानकारी दी है।
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नई एजेंसी को दिया गया टेंडर
राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार ने बताया कि उनके कार्यकाल से पहले 2016 से हर्ष इंटरप्राइसेस को टेंडर दिया गया था। शासन से हुई जांच में कर्मचारियों की हाजिरी कम पाई गई थी। इसका जवाब उनकी ओर से शासन को भेज दिया गया है। वहीं हर्ष इंटर प्राइसेस की जगह दूसरी एजेंसी को टेंडर दे दिया गया है। शासन से स्वीकृति मिलते ही नई एजेंसी से सेवाएं लेना शुरू कर दिया जाएगा।