फैक्ट्रियों में नहीं लगा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट
भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड टीम की जांच में यह भी पता चला है कि जिन फैक्ट्रियों का जहरीला केमिकल युक्त पानी गर्रा नदी में गिराया जा रहा है, उन फैक्ट्रियों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं लगा है। इससे गर्रा नदी में सल्फर, नाइट्रोजन, आक्साइड्स, कोमाइट्स, आर्गेनिक तत्व बढ़ गए। इससे गर्रा नदी का पानी जहरीला हो गया है। हरदोई में गर्रा नदी गंगा में मिली है। गर्रा के गंगा में मिलने से पहले का पानी टीम को मानक के अनुरूप मिला है।
जलीय जंतुओं की मौत की बजह बनी यह
बताते चले कि कन्नौज के महादेवी घाट केे पास गंगा में लाखों मरीं मिली मछलियों के बाद से शासन तक हड़कंप मचा है। इसके बाद डीएम रवींद्र कुमार के साथ भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून और कानपुर नगर व कानपुर देहात की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमों ने जांच शुरू की। जांच में भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक डा. अजीत कुमार और डा. रिचिका ने पाया कि गंगा में जहरीले पानी और प्रदूषण से आक्सीजन की मात्रा शून्य मिलीग्राम प्रति लीटर पर पहुंचने से जलीय जंतुओं की मौत हुई है।
डिजाल्फ आक्सीजन की जांच में आये चाैंकाने वाले तथ्य
पानी के नमूनों की जांच में पाया गया कि गर्रा नदी के गिरने के बाद से गंगा में आक्सीजन की मात्रा खराब हुई है। इससे पूरी तबाही की जिम्मेदार गर्रा नदी पर साबित हुई। गर्रा नदी के पानी का डीओ (डिजाल्फ आक्सीजन) की जांच करने पर चाैंकाने वाले तथ्य सामने आए। गर्रा में मौजूदा समय में आक्सीजन की मात्रा शून्य से 1.8 मिलीग्राम प्रति लीटर है। जबकि दो दिन पहले के हालात बेहद भयानक थे। गर्रा में घुले सल्फर, नाइट्रोजन, आक्साइड्स, कोमाइट्स, आर्गेनिक तत्व से हरदोई से कन्नौज तक गंगा नदी में आक्सीजन की मात्रा शून्य हो गई थी।
फर्रुखाबाद और कन्नौज का पानी इस बजह से हो रहा है जहरीला
शाहजहांपुर के रोजा कस्बे में फर्टीलाइजर, थर्मल पॉवर प्लांट, सुगर मील, पावर प्लांट और डिस्टलरी हैं। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी गर्रा नदी में गिरता है। इससे गर्रा नदी का पानी इतना जहरीला हो गया कि गर्रा नदी का पानी गंगा में गिरने से मछलियों की मौत हो गई।
14 प्रजातियां हुई खत्म
गंगा नदी में जहरीले पानी से पूरी तरह मछलियों की 14 प्रजातियां खत्म हो गईं। गंगा में पाई जाने वाली 146 प्रजातियों में उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग महज चार से पांच ही मछली की प्रजातियों को तैयार करता है। गंगा नदी के फिर से मछलियों से हरा भरा बनाने के लिए शासन ने राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) को पत्र लिखा है। डीएम रवींद्र कुमार ने बताया कि जल्द एनएफडीबी जिले में गंगा की भौगोलिक स्थिति का निरीक्षण करने आएगी।